गोपाल कृष्ण गोखले की ईमानदारी

February 1963

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

स्कूल में अध्यापक बच्चों से गणित के सवाल हल करवा रहे थे। एक सवाल कुछ अधिक कठिन था। कक्षा का कोई छात्र उसे हल न कर सका। किन्तु एक छात्र ने उसे हल कर लिया और प्रशंसा तथा पुरस्कार प्राप्त किया।

दूसरे दिन वह बालक उस पुरस्कार को वापिस लेकर अध्यापक के पास आया और लौटाते हुए क्षमा याचना करने लगा। उसने वह प्रश्न अपनी समझ से नहीं किया था। किन्तु किसी दूसरे से पूछ कर लिख दिया था। इस प्रकार एक ओर चोरी करना दूसरी ओर पुरस्कार प्राप्त करना, इस दुहरे अपराध से बालक की अन्तरात्मा कोंचने लगी थी। रात भर वह सोया नहीं, वरन् रोता रहा था, प्रातःकाल उसने पाप का प्रायश्चित करना और उसे सबके सामने प्रकट कर देना ही उचित समझा।

अध्यापक के लिए यह अनोखा उदाहरण था। उन्होंने प्रश्न हल करने का पुरस्कार वापिस ले लिया और सच्चाई ईमानदारी के उपलक्ष में उससे बड़ा दूसरा पुरस्कार प्रदान किया।

वह बालक बड़ा होकर न्याय मूर्ति गोपाल कृष्ण गोखले कहलाया। गोखले भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के प्रवर्तकों और स्वाधीनता संग्राम के आरम्भ करने वालों में अग्रणी थे। नेकी और ईमानदारी की नीति को अपना कर सामान्य मनुष्य भी असामान्य स्तर तक ऊँचे उठते हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118