VigyapanSuchana

December 1942

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संगीत सम्बन्धी पुस्तकें

1-संगीत संसार संगीत का विशाल ग्रन्थ दूसरी बार छापकर तैयार हुआ है। मू. 4/) 2- फिल्म संगीत (चार भाग) प्रथम भाग में 70, दूसरे में 72, तीसरे में 70 और चौथे में 70 गीतों की पूरी-पूरी स्वर लिपियाँ है। मूल्य प्रत्येक भाग 2/) रु.। 3-राग दर्शन-6- तिरंगे चित्रों सहित राग भौरव और उसके परिवार की स्वरलिपियाँ मू. 3) 4-संगीत पारिजातः पं. अहोबल का लिखा हुआ प्राचीन संस्कृति ग्रन्थ 500 श्लोकों की सरल हिन्दी टीका सहित मू 21) 5-तानसेन-संगीत सम्राट तानसेन की जीवनी, स्वरलिपियाँ और तानसेन का फिल्मी ड्रामा दिया गया है, मू. 2/) 6-म्यूजिक मास्टर-बिना मास्टर के हारमोनियम, तबला और बाँसुरी सिखाने वाली पुस्तक जिसके 8 संस्करण हो चुके है मू. 1) 7-अवैयों का मेला-तरह तरह के चुने हुए 500 गायनों का संग्रह मू. 1) गवैयों का जहाज -इसमें भी तबियत खुश कर देने वाले 400 गाने हैं 1) 9-पुष्पवाटिका-भजन, गजल, प्रार्थना, आरती, फिल्म -गीत इत्यादि 404 गाने मूल्य 1) महिला हारमोनियम गाइड -स्त्री व कन्याओं के लिए मनोहर गीतों सहित बाजा बजाना बताया गया है मू.।) 11-रुक्मणि मंगल-राधेश्यामी तर्ज में समस्त रुक्मणि मंगल की कथा 1) 12-गीता गायन-राधेश्यामी तर्ज में गीता की कथा मू. 11) ताल अंक-घर बैठे तबला बजाना सीखिये, मू. 21) संगीत मासिक पत्र भी बराबर निकल रहा है, 200 पृष्ठ के विशेषाँक सहित वार्षिक मू. 3) है।

दुनिया खौलते कढ़ाव में उबल रही है।

चारों ओर हाहाकारी ज्वाला जल रही है, खून के दरिया बह रहे हैं, महामारी का ताण्डव हो रहा है, रहे बचे भूख की ज्वाला में जले जा रहे हैं। हर आदमी आगामी कल को सशंकित और भयभीत नेत्रों से देख रहा है। न जाने भविष्य का निष्ठुर दानव किस पर क्या कहर ढा दे, इस आशंका से मनुष्यों के कलेजे धक-धक कर रहे हैं।

यह निष्ठुर परिस्थिति क्यों उत्पन्न हुई?

आगामी घड़ियों में क्या होने वाला है? कितने दिन अभी क्या क्या कष्ट सहने होंगे? इस खूनी तूफान का अन्त कैसे होगा? इन सब महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर आध्यात्मिक महापुरुषों को दिव्य-दृष्टि से प्राप्त हुआ है।

उसको सर्व साधारण पर प्रकट करने के लिए-

‘अखंड-ज्योति’ का महत्वपूर्ण विशेषाँक 1 जनवरी 43 को प्रकाशित होगा।

“ संवत् 2000 अंक”

इस विशेषाँक की एक-एक पंक्ति पढ़ने योग्य, समझने योग्य और मनन करने योग्य होगी। यह अंक अपूर्व और अद्भुत गुप्त बातों की जानकारियों से परिपूर्ण होगा। विचारवान व्यक्तियों के लिए यह अंक प्राण-प्रिय हुए बिना न रहेगा।

कागज के इस घोर अकाल में पृष्ठ संख्या थोड़ी ही बढ़ाई जा सकेगी, साधारण अंक से यह ड्यौढ़ा होगा। पर इतने ही पृष्ठों में गागर में सागर भर दिया जायगा।

1 जनवरी सन् 1943 की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा कीजिए।

नोट- यह उतना ही छपेगा जितने ग्राहक दिसम्बर में बन जावेंगे। क्योंकि कागज हमें उतना ही मिलता है जितने ग्राहक उस मास में होते हैं। इसलिए जिन्हें संवत् 2000 अंक लेने की इच्छा हो उन्हें अपना चन्दा दिसम्बर में ही भेज देना चाहिए।

मैनेजर- ‘अखंड-ज्योति’ मथुरा।


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