कुम्भकर्ण का कलियुगी भाई
(1)
कलकत्ते के एक मकान में बहुत लम्बे पाँवों के चिन्ह दिखाई पड़े हैं, जो नाप में 22 इंच के है। इसी प्रकार के चिन्ह सन् 1936 में जलपाई गुड़ी में दिखाई पड़े थे और उसके बाद एक अन्य स्थान में भी।
उस दिन बंगाली युवक अपने मकान में सो रहा था। रात में लगभग दो बजे उसने एक आवाज सुनी और वह जाग पड़ा। कमरे में उसे एक काली शक्ल दिखाई दी, जिसका सर छत से लगा हुआ था। युवक डरकर चारपाई से कूद पड़ा और जान बचाने के लिए दरवाजा खोलकर पड़ोस के एक मकान में भाग गया। सवेरा होने पर वह कुछ लोगों को लेकर, अपने कमरे में गया, तो उसने देखा कि सीमेन्ट के फर्श पर पैरों के चिन्ह बने हैं, जो 22 इंच लम्बे हैं।
कलकत्ता की खुफिया पुलिस के एक इन्सपेक्टर ने जो पाँव के निशान पहचानने के विशेषज्ञ है, इन चिन्हों के फोटो लिये हैं। ये चिन्ह दोनों पाँवों के हैं, जिनकी लम्बाई 22 इंच तथा चौड़ाई 7 इंच हैं। इन चिन्हों से कलकत्ते में बड़ी सनसनी फैल गई है और बहुत से मनुष्य उन्हें देखने आते हैं।
गाने वाली आत्माएं
(2)
वारसा के एक विशाल भवन के सम्बन्ध में एक बहुत ही अजीब किस्सा मशहूर है, यह भवन वारसा के पूर्वी भाग से स्थित है और सैंकड़ों वर्षों से खाली पड़ा है। कारण कि लोगों ने इस भवन को बसाने की कोशिश की, वे एक ही रात उस भवन में रहने के बाद मरे हुए पाये गये। अब उस भवन का यह हाल है कि लोग उसके पास निकलते हुए भी डरते हैं। पड़ोस के लोगों का कहना है कि रोजाना रात के साढ़े बारह बजे के बाद उस भवन से गाने की आवाज आती है और यह मालूम होता है कि बहुत से स्त्री पुरुष मिल कर गा रहे हैं। कहा जाता है कि यह भवन पुराने समय की किसी नर्तकी का है, जिसका कत्ल कर दिया गया था। उस दिन के बाद आज तक कोई मनुष्य उस मकान में नहीं रहा। लोगों का आम तौर से यही ख्याल है कि उस मकान की मालकिन की आत्मा प्रेत हो गई है और वहाँ रात को गाती है। उसके साथ ही और आत्माएं गाने आती हैं।