जिस तरह कि स्त्री कुटुम्ब का, अपने सास ससुर का आदर करती है और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करती है, परन्तु अपने पति को अधिक प्यार करती है, उसी तरह तुम भी अपने इष्टदेव की आराधना करते रहो, किन्तु दूसरे देवों का भी सत्कार करते रहो, देव एक ही है।
जैसे केंचुली से साँप पृथक होता है, उसी तरह देह से आत्मा पृथक है।
पारे लगे हुए शीशे में जैसे मनुष्य अपना चेहरा देख लेता है, उसी प्रकार ब्रह्मचर्य से जिसने बल और पवित्रता की रक्षा की है, उसके अन्तःकरण में शक्तिशाली प्रभु की परछांई का दर्शन होता है।
समालोचना -
संगम (मासिक-पत्र) संपादिका- श्रीमती वीणा देवी सत्यभक्त वार्षिक मूल्य 211) रु॰।
प्राप्ति स्थान-सत्याश्रम, वर्धा सी॰ बी॰ श्री स्वामी सत्यभक्त की, हमारी दृष्टि में सच्चे संन्यासी सत्यशोधक युग निर्माता महापुरुष हैं। उनकी लेखनी और वाणी में हम उन तत्वों को देखते हैं जिनसे किसी राष्ट्र की काया पलट होती है। संगम, स्वामी जी के सन्देशों को जनता तक पहुँचाता है। पत्र उच्च कोटि की विचारधारा से परिपूर्ण है। ऐसे पत्रों की देश को आज बड़ी भारी आवश्यकता है।
मन और उसका निग्रह (सजिल्द) मूल्य 1 आना।
प्राप्ति स्थान- जनरल प्रिटिंग वकर्स लि॰ प्रिटिंग हाऊस, हौज कटरा, बनारस, छपाई सफाई बहुत सुन्दर। मानव जीवन की व्यवहारिक सफलता में मनोविग्रह का सर्वोपरि स्थान है। ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर श्री स्वामी शिवान्द जी महाराज का यह ग्रन्थ बहुत प्रामाणिक एवं अनुभवपूर्ण है। कठिन विषय को बड़ी ही सरलतापूर्वक समझाने में यह रचना सर्वथा सफल हुई है। आध्यात्मिक तत्वों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए बहुत ही महत्व की पुस्तक है।
सचित्र हठयोग-(सजिल्द) मू॰ 1 रु. आसनों के 38 चित्रों सहित।
प्राप्ति स्थान- जनरल प्रिटिंग वकर्स लि॰ प्रिटिंग हाउस, हौज कटरा, बनारस, छपाई सफाई बहुत सुन्दर। आसन, प्राणायाम बन्ध, मुद्रा एवं योगिक क्रियाओं द्वारा आधिभौतिक, आधि दैविक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाने वाली अनुपम और प्रामाणिक पुस्तक है। इस एक ही पुस्तक से जो लाभ उठाया जा सकता है वह अन्य पुस्तकें बढ़कर भी नहीं उठाया जा सकता। पुस्तक के लेखक स्वयं एक महान योगी हैं। अपने विषय की यह अद्वितीय पुस्तक है।