ले.-श्री दरबारीलाल जी ‘सत्यभक्त’
“पादरी! साहब ईश्वर की ताकत ज्यादा है या शैतान की?”
“भाई इसमें पूछने की क्या बात है? सभी जानते हैं कि ईश्वर की ताकत ज्यादा है।”
“कितनी ज्यादा है? “
“चौगुनी, अठगुनी, दसगुनी और क्या “
“जब ईश्वर की ताकत ज्यादा है, तब शैतान ईश्वर की हर चीज बिगाड़ कैसे देता है? “
“पादरी साहब क्षण भर चुप रहे, फिर बोले- तुम तो मूर्तिकार हो। एक अच्छी मूर्ति बनाने में तुम्हें कितने दिन लगते हैं? “
“महीनों लग जाते हैं। अच्छी मूर्ति को वर्ष भी लग जाता है। “
“अगर तुम उसे तोड़ना चाहो तो कितने वर्ष लगेंगे? “
“उसमें वर्ष की क्या जरूरत? एक सैकिंड में टूट जायगी। “
‘तो मेरे बेटे! बिगाड़ने से किसी की ताकत का अन्दाज नहीं लगता, ताकत का अन्दाज लगता है बनाने से। एक महात्मा एक आदमी को दस वर्ष में जितना सुधार पाएगा, एक दुरात्मा उसे महीनों और दिनों में उससे कई गुना बिगाड़ देगा। मैं समझता हूँ कि अब तू ईश्वर और शैतान की ताकत का अन्दाज लगा लेगा।
-नई दुनिया
धर्म तत्व निरूपण लेख माला-