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September 1941

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करुणा और प्रेम इन्हीं दो शब्दों में धर्म के सारे तत्व निहित है।

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जो तुम से बेर करते हैं, तुम उनसे प्रेम करो, तथा सदाचार से रहो और जो निन्दा करते हैं, उनसे प्रार्थना करो।

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ईश्वर जो कुछ करता है वह बुद्धि से करता है। अपनी इच्छानुसार कोई काम नहीं होता है। यह जानना चाहिए कि जो कुछ होता है, वह अच्छा ही होता है।


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