दूसरों में जो बुराइयाँ हमें दीखा करती हैं वे प्रायः हमारे ही हृदय के बुरे-भले भावों का प्रतिबिम्ब मात्र होती हैं। यदि हमारे अन्दर बुरे तत्व अधिक हैं तो हमें सामने वाले की बुराइयाँ और अधिक दिखाई देंगी। यदि हममें अच्छे तत्व अधिक हैं तो अच्छाइयाँ दिखाई देंगी।