प्रभु से प्रार्थना

January 1941

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(ले॰ श्री मुरलीधरजी, अजीतमल, इटावा)

प्रभु! जीवन ज्योति जगा दे !

घट-घट वासी! सभी घटों में, निर्मल गंगाजल हो ।

हे बलशाली ! तन-तन में, प्रतिभाषित तेरा बल हो ॥

अहे सच्चिदानन्द ! चाहे आनन्दमयी निर्झरिणी

नन्दन वन से शीतल इस जलती जगती का तल हो ॥

सत् प्रभु सुगन्ध फैला दे ।

प्रभु ! जीवन ज्योति जगा दे ॥

विश्वे देवा! अखिल विश्व यह देवों का ही घर हो ।

पूषन ! इस पृथ्वी के ऊपर असुर न कोई नर हो ॥

इन्द्र ! इन्द्रियों की गुलाम यह आत्मा नहीं कहावे-

प्रभु का प्यारा मानव, निर्मल, शुद्ध, स्वतन्त्र,अमर हो ॥

मन का तम तोम भगा दे !

प्रभु जीवन ज्योति जगा दे ॥

इस जग में सुख शान्ति विराजे, कल्मष कलह नसावें।

दूषित दूषण भस्मसात हो, पाप ताप मिट जावें ॥

सत्य, अहिंसा, प्रेम, पुण्य, जन-जन के मन-मन में हो-

विमल ‘अखण्ड-ज्योति’ के नीचे सब सच्चा पथ पावें॥

भूतल पर स्वर्ग बसा दे।

प्रभु! जीवन ज्योति जगा दे ॥


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