पाठकों के पत्र

January 1941

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नये वर्ष के उपलक्ष में अखण्ड ज्योति के असंख्य प्रेमी पाठकों के पत्र हमें प्राप्त हुए हैं, जिसमें उन्होंने उसके अमूल्य ज्ञान भण्डार, हमारे पवित्र मिशन और अब तक के किये गये कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। अनेकों ने अपने निजी अनुभवों का उल्लेख करते हुए बताया है कि इस पत्रिका ने एक वर्ष में ही उनके जीवन को बदल कर बिलकुल दूसरे मार्ग पर लगा दिया । वे इस पत्रिका में ईश्वरीय संदेश देखते हैं। अनेक पाठकों ने तो अपनी श्रद्धा भक्ति के कारण प्रशंसा में अतिशयोक्ति कर दी है। कितने ही पाठक ऐसे हैं जो अपने सच्चे हृदयोद्गार प्रकट कर देना ही पर्याप्त नहीं समझते वरन् इससे आगे अखंड ज्योति की क्रियात्मक सहायता भी करते हैं। श्री॰ काली प्रसाद राय खिरना, रा॰ सा॰ नारायणप्रसाद तिवारी, अगापुर, श्री॰ रघुनाथ प्रसाद जी, बनारस आदि सज्जनों ने आर्थिक सहायताएं भेजी हैं। कुँवर सज्जनसिंह भटनागर, पं॰ नारायणप्रसाद ‘उज्वल हकीम गणपतराय’ श्री॰ प्रेमरत्न मूँधड़ा, पं॰ हनुमान प्रसाद ‘कुसुम’, श्री गुरु चरण जी आदि युवक, बाबू राजनारायण जी श्रीवास्तव, स्वामी मुरलीधर जी जिज्ञासु, श्री॰ परशुराम जी शाण्डिल्य, कविराज सिद्धगोपाल जी श्रेष्ठ, श्री॰ जी॰ एन॰ सोलंकी आदि ने अनेक ग्राहक बढ़ाये हैं और आगे भी विशेष प्रयत्न करने का वचन दिया है। श्रीमान पं॰ श्रीकान्त शास्त्री, योगिराज उमेशन्द जी, पं॰ शिवनारायण जी, आचार्य भद्रसेन, वालन, सावित्री देवी तिवारी, बहिन कमला-सिंधी, बहिन गिराजा देवी, श्री॰ बी॰ डी॰ ऋषि, प्रो॰ चक्रवर्ती, पं॰ जगन्नाथप्रसाद दोसा, डॉक्टर शिवरतनलाल त्रिपाठी, मास्टर उमादत्त, पं॰ भोजराज जी शुल्क, पं॰ प्रेमनारायण शर्मा, श्री॰ धूमसिंह जी वर्मा आदि विद्वान् लेखकों ने बड़ी ही सुन्दर रचनाओं से अखण्ड ज्योति को सजाया है। हमारे पास शब्द नहीं है कि जिनसे इनके प्रति कुछ कह सकें। कई और भी महानुभाव आर्थिक सहायता करना चाहते हैं। उनसे हमारा निवेदन है कि कुछ बहुमूल्य ज्ञान की पुस्तकें अभी तक बिना छपी हैं। उन्हें अपनी सहायता से छपा कर पुण्य और यश के भागी बनें। सहायता देने वालों के चित्र सहित पुस्तक प्रकाशित की जायेंगी। सम्पन्न उदार प्रेमी इसी अंक में समालोचना पृष्ठ पर अंकित श्रीमती रानी प्रचण्डवती देवी का अनुकरण कर सकते हैं जिन्होंने बहुमूल्य पुस्तक ‘सत्येन्द्र सन्देश’ अपने खर्च से छपा कर मासिक पत्र ‘परलोक’ को दान दे दी है। उससे उस पत्र को बड़ी सहायता मिली है

अपने इन असंख्य प्रेमी पाठकों के लिये अलग अलग पत्र भेजने के लिये हमारे पास पैसे नहीं है अतएव इन पंक्तियों द्वारा ही अपनी हार्दिक मृतलता प्रकट करते है और उनसे यही अनुरोध करते हैं कि धर्म प्रचार का यह कार्य जितना हमारा है उतना ही हर एक प्रेमी का है इसलिये इसके विचार के लिये यह आवश्यक है कि हमारा हरएक शुभचिन्तक ‘अखण्ड ज्योति’ के पाठक बढ़ाने के लिये सच्चे हृदय से परिश्रम करें।

श्रीराम शर्मा सम्पादक।


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