राष्ट्र देवता ने भेजा है
राष्ट्र देवता ने भेजा है, आज नया पैगाम।
नयी विचार क्रांति करना है, डगर- डगर हर ग्राम॥
वट तरू से भी गहरी होती, जड़ें आत्म विश्वास की।
स्वर्ग बना देती धरती को, मन लहरें उल्लास की॥
आज तोड़ना है हिम्मत से, वर्ग भेद दीवार की।
हमें जोड़ना है अखण्डता, से सारे संसार की॥
शौर्य शंख श्रम की शहनाई, गूंजे चारो धाम॥
आज मनोबल ऊँचा रखना, ऊँचा रखना भाल।
बुझने देना नहीं देश में, शाश्वत ज्ञान मशाल॥
रोक न पाये पथ बाधाएँ, बढ़ते चरण विकास के।
समता सरोवर में खिल जाए, हृदय कमल विश्वास के॥
मानवता की फसल न कोई, कर पाये नीलाम॥
नैतिकता का यज्ञ हो रहा, शान्तिकुञ्ज की छाँव में।
आज नई थिरकन आयी है, अनुशासन के पांव में॥
आज बाँधना है हिम्मत से, मुट्ठी में तूफान को।
आगे बढ़कर गति देना है, ज्ञान और विज्ञान को॥
आत्म त्याग सेवा व्रत तप से, रोशन करना नाम॥
आज नया संरक्षण देना, धरती के इन्सान को।
सबको मिलकर गले लगाना, नव जागृति अभियान को॥
महल झुके कुछ कुटी उठे, कुछ समता का विस्तार हो।
देश समाज बढ़े कुछ आगे, मानवता से प्यार हो॥
कठिन परिश्रम करना सबको, है आराम हराम॥