लो साथ हमारा छूट चला
(विदाई गीत)
लो साथ हमारा छूट चला, यह सोच विकल तुम मत होना।
स्नेह पलेगा जीवन भर बस, यह विश्वास नहीं खोना॥
अनजाने पावन धागे से, हम बन्धे हुए एकत्र हुए।
जो मिली भूमिका उसके हित,पुरूषार्थ किए कृत- कृत्य हुए॥
यों पूर्ण हुआ अध्याय एक, ऐसा अवसर तुम मत खोना॥
कलियाँ खिलती है एक साथ, जीवन भर साथ नहीं रहती।
लहरें उठती है साथ- साथ जीवन भर साथ नहीं रहती॥
इस सहज नियम को मान अटल, यह दुःख विछोह का सह लेना॥
सौरभ बिखेरते फूलों को, चन्दन सा देखा है सबने।
कटकर भी खुशियाँ बिखराया, यह गौरव पाया है उनने॥
इस उपवन की पावन सुगंध, जन- जीवन में तुम भी बनना॥
अध्यात्म साधना की विभूति, पा जाओ सब इस जीवन में।
सौभाग्य जगाने जीवन की, सद्भाव दुलारे क्षण- क्षण में॥
उस सुख वैभव के जीवन में, नित याद गुरु का कर देना॥
जो उदारता और सदाशयता के साथ दूसरों में प्रेम बाँटता है, ईश्वर का सच्चा प्रेम उसे ही प्राप्त होता है। - पं.श्रीराम शर्मा आचार्य