गीत माला भाग १३

राखी बन्धालो भइया

<<   |   <   | |   >   |   >>
राखी बन्धालो भइया

राखी बन्धालो भइया, बहना बुलाये रे।
आ जाओ प्यारे भइया, बहना बुलाये रे॥

सावन के मौसम में ये, रक्षा- बन्धन है आया।
छाये खुशियों के बादल, मन में उमंग है लाया॥
बहना के न्यारे भइया, बहना बुलाये रे॥

मेंहदी के हाथों बहना, भाई के घर आई।
पूजा की थाली पूरे, मन से है आज सजाई॥
बहना ने देखो घी के, दीपक जलाये रे॥

बहना का भाई प्यारा, उसकी आँखों का तारा।
देती उड़ेल भाई पर, वह अपना प्यार सारा॥
भइया के स्वागत में है, पलकें बिछाये रे॥

संगीत के सुर- सागर में मानव की सभी इच्छाएँ आकांक्षाएँ एकाकार होकर आनन्द की अनुभूति प्राप्त करती हैं। इस तरह संगीत जहाँ व्यक्ति के अन्तःकरण को झकझोरता है वहीं उसे सामाजिक परिवेश से भी जोड़ता है। -अखण्ड ज्योति अप्रैल १९९९ पृष्ठ- १४

<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118