इस देश को न हिन्दू
इस देश को न हिन्दू न मुसलमान चाहिए।
हर मजहब जिसको प्यारा, वो इन्सान चाहिए॥
ये जाँत- पाँत के गहने, हम ऐसे भी न पहने।
एक दूजे से टकराकर, लगे खून की धारा बहने॥
हर आदमी को एकता का ज्ञान चाहिए॥
ये खान पान पहनावा, यह तो है सिर्फ दिखावा।
हर मन है प्यार का प्यासा, यह सच्चाई का दावा॥
हर मन को सच्चे प्यार की पहचान चाहिए॥
गीता ने कर्म सिखाया, नानक ने कहा अहिंसा।
जीवों से प्रेम करो तुम, कहते थे हज़रत ईसा॥
कुरान ने कहा सच्चा ईमान चाहिए॥