उमा रमा ब्रह्माणी तू ही
उमा, रमा, ब्रह्माणी तू ही, भारत भाग्य विधाता है।
त्यागमयी भारत की नारी, तू धरती की माता है॥
तूने ही अवतार दिये, तूने ही पुरुष महान दिये।
तुलसी, सूर, कबीर से तूने, अजर- अमर वरदान दिये॥
जो तेरा सम्मान करे ,वो पुरुष महान कहाता है॥
बरसाने की तू ही राधिका, जनक दुलारी सीता तू।
राजस्थान की तू है मीरा, गिरधर की परिणीता तू॥
तू गीता, तू वेद ऋचा, तू ही गायत्री माता है॥
अलख निरंजन की माया, शक्ति अखिल ब्रह्माण्ड की।
प्रखर किरण तू ही सूरज की, शीतल आभा चाँद की॥
संकट में संकटमोचनी, तू अक्षय सुखदाता है॥
अनुसुइया बन तू त्रिदेव को, अपना पुत्र बनाती है।
अरुन्धती बन तू तप बल से, सप्तर्षि पद पाती है॥
जो भी हैं महान नर जग के, तू उन सबकी माता है॥