ओ सविता देवता
ओ सविता देवता! संदेशा मेरा तुम ले जाना।
जहाँ कहीं हो गुरुवर उन तक, सुनो! इसे पहुँचाना॥
कष्ट दिया तुमको कि तुम्हारी ही, सब जगह पहुँच है।
मिले सहारा हमें तुम्हारा, यह हम सबका हक है॥
हम लाखों बच्चों के हित तुम, इतना कष्ट उठाना॥
कह देना अपने बच्चों पर, आप भरोसा रखना।
बचा कार्य हम पूर्ण करेंगे, दृष्टि बनाये रखना॥
रहो कहीं हमको बढ़ने का, साहस देते जाना॥
कह देना दुःख में भी हमने, क्षण भर नहीं गँवाया।
आँसू पीकर भी हर पग पर, अनुशासन दुहराया॥
तन- मन में बन प्राण विचरना, प्रभु यह मत बिसराना॥
लक्ष्य पूर्ति हित साथ तुम्हारा, हम हरदम पायेंगे।
सिसकेगा तो हृदय मगर, यह कहकर समझायेंगे॥
बन विराट् प्रभु सतत् साथ हैं, रे मन मत घबराना॥
तुम केवल मानव कब थे, प्रभु तुम तो थे अवतारी।
युग निर्माण योजना रच दी, नवल सृजन हित न्यारी॥
इसमें मिला सही जीवन, जीने का विशद् खजाना॥
सत्य लोक में तुम्हें मिलेंगे, वे हम सबके प्यारे।
आत्मशक्ति पायेंगे सुनकर, यह संकल्प हमारे॥
लिया बहुत हम सबने, अब है फर्ज निभाना॥
मुक्तक- सविता के द्वारा संदेशा, भेज रहे हैं तुम तक गुरुवर।
यद्यपि पीर हमारी तुमसे, छुपी नहीं है अब तक गुरुवर॥
हमें शक्ति देना हम सह लें, विरह वेदना और न टूटे।
पहुँचाते रहना हर क्षण सह लें, प्रखर प्रेरणा हम तक गुरुवर॥