इस शराब ने किये हजारों
इस शराब ने किये हजारों क्या लाखों ही घर बरबाद।
चलो बन्धु इससे करवाएँ, हम परिवारों को आजाद॥
पहले तो समझाएँ ही यह, सुरापान विष के सम है।
धन व बुद्धि का नाश करे, सुख शांति स्वतः होती कम है।
नहीं माने तो बंद दुकाने, करें छोड़ दो पूर्ण जिहाद॥
उन बहनों का कष्ट मिटे, बच्चों का बनें भविष्य महान।
पालन- पोषण में रूचि लें, कर्तव्यों का जग जाए ज्ञान।
खुद ही बीमारी से भी बचें, जहर को न पीये रखें याद॥
अपना है अभियान नशा, कैसा भी नही करें कोई।
सबकी प्रज्ञा जागे, मेधा भी नहीं रहे सोई।
घर- घर अलख जगाना है, लाएँ न इसमें तनिक प्रमाद॥