गायत्री विषयक शंका समाधान

अभियान साधना और संयम

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>
इन्द्रिय संयम तपश्चर्या का आरम्भ है, अन्त नहीं। अपनी शक्तियों के अपव्यय को रोककर उन्हें आत्मिक विकास की दिशा में नियोजित करना ही तपश्चर्या का मूल उद्देश्य है और स्मरण रखा जाना चाहिए कि रसना, बकवाद यथा यौन-लिप्सा के कारण जीवनी-शक्ति का अस्सी प्रतिशत भाग नष्ट होता है। यदि इन छिद्रों को बन्द कर दिया जाय तो जीवन की प्रवृति स्वतः ही शुभ से अशुभ की ओर अग्रसर होने लगेगी। इन तीन मुख्य छिद्रों को बन्द कर देने पर अशुभ दृष्टि, विलासी जीवन तथा अन्य इन्द्रिय लिप्साओं को नियन्त्रित कर पाना अपेक्षाकृत बहुत आसान हो जायगा।

फिर भी यह नहीं समझ लेना चाहिए कि संयम से तात्पर्य उपवास, मौन और ब्रह्मचर्य भर ही है। उसकी परिधि और साधना क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा उसमें सभी प्रकार के अपव्ययों को रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, इन्द्रिय संयम उनमें से एक है। मनोनिग्रह उसका दूसरा पक्ष है। मनोनिग्रह अर्थात् चिन्तन को अभीष्ट प्रयोजनों में नियोजित करना और अवांछनीय विचारों को आते ही भगा देना।

अभियान साधना में सभी स्तर के संयम पर जोर दिया गया है। जैसे समय संयम अर्थात् सोने से लेकर जागने तक एक भी क्षण आलस्य या प्रमाद में बर्बाद न करना। रम सन्तुलन को बुद्धिमता पूर्वक बनाये रहना। न का संयम अर्थात् उचित और न्याय, नीति पूर्वक उपार्जन करना तथा कमाई को आवश्यक प्रयोजनों में ही व्यय करना। यही चारों संयम मिलकर जीवन साधना को तपश्चर्या का समग्र रूप बनाते हैं। इन्द्रिय संयम उनमें प्रथम है। अभियान साधना में निरत साधकों का लक्ष्य प्रथम चरण की चिन्ह पूजा को ही सब कुछ नहीं मान बैठना चाहिए वरन् समग्र संयम की तपश्चर्या को साधना का आवश्यक अंग मानकर चलना चाहिए तथा इन उपचारों के सहारे संयम शीलता अपनाने की व्यावहारिक रूपरेखा निर्मित की जाय।
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118