अनुष्ठान समय विशेष पर नियत अवधि में पूरा करना पड़ता है। यों उसे कभी भी आरम्भ किया जा सकता है लेकिन अवधि का ध्यान तो रखना ही पड़ता है। उच्च स्तर के, बहुत ही ऊंची श्रेणी के साधक 24 लाख का महापुरश्चरण नित्य निरन्तर चलाते हैं पर यह पूरा समय साधना उपासना में लगा सकने वालों के लिए ही सम्भव है। सामान्य स्थिति में अपनी उपासना को अनुष्ठान स्तर का बनाना हो तो उसके लिए एक वर्षा में पांच लाख जप की संख्या पूर्ण करना सर्वश्रेष्ठ है। एक वर्ष में पूरा होने वाले इस उपासना अनुष्ठान को अभियान साधन कहते हैं। इस साधना का विधि-विधान भी बहुत सरल है। 5 लाख की जप संख्या 15 माला प्रति दिन जप करने तथा चैत्र और आश्विन की दो नवरात्रियों में 24 हजार का लघु अनुष्ठान करने से पूरी हो जाती है। यों पन्द्रह माला प्रति दिन करने से भी 360 दिन में पांच लाख की संख्या पूरी हो जाती है किन्तु नवरात्रियों में लघु अनुष्ठान तो सभी उपासक करते हैं, सामान्य उपासना क्रम अपनाने वाले साधक भी प्रायः नवरात्रि अनुष्ठान करते हैं। अतएव अभियान साधना करने वाले साधकों को भी यह अनुष्ठान करना और भी आवश्यक है लाभप्रद है।
यह तो हुई संख्या पूरी करने की बात। अभियान साधना को अनुष्ठान स्तर की बनाने वाले नियम हैं गुरुवार के दिन संयम। संयम अर्थात् उपवास, मौन, ब्रह्मचर्य, तितिक्षा और उन सभी नियमों का पालन जो 24 हजार के, सवालक्ष के अथवा चौबीस लक्ष के, लघु-मध्यम तथा पूर्ण अनुष्ठान पुरश्चरण में करने पड़ते हैं।
यों शुभ कार्य के लिए सभी दिन शुभ हैं। फिर भी किसी पर्व से यह साधना आरम्भ की जाय तो अधिक उत्तम है। बसन्त पंचमी, गुरुपूर्णिमा, गायत्री जयन्ती आदि पर्वों से अथवा तिथियों में पंचमी, एकादशी और पूर्णिमा या वारों में रविवार अथवा गुरुवार से अधिक उत्तम है। यों बुरा या निषिद्ध, कोई भी दिन नहीं है। सामान्य नियम यह है कि जब से आरम्भ किया जाय तभी एक वर्ष पूरा होने पर, समाप्त किया जाय। पर्व दिन कुछ आगे-पीछे हों तो उस अवसर पर भी पूर्णाहुति की जा सकती है और शेष जप संख्या को थोड़ी-बहुत घटा-बढ़ाकर सन्तुलन बिठाया जा सकता है।
वैसे पन्द्रह माला और 24 हजार के दो लघु अनुष्ठानों का नियम भी इस प्रकार बनाया गया है कि इस क्रम से उपासना करने में प्रायः 11 महीनों में ही यह संख्या पूरी हो जाती है। चांद वर्ष पूरे तीन सौ साठ दिन का होता भी नहीं है। तिथियों को घट-बढ़ प्रायः होती रहती है इसलिए पांच लाख की संख्या सरलता पूर्वक हो सकती है।