परमपूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य ने जीवन भर जो अपने लेखनी से लिखा, औरों को प्रेरित कर उनसे सृजनात्मक लेखन करवाया, पुस्तकों- पत्रिकाओं में जो प्रकाशित हुआ, समय-समय पर उनने अमृत वाणी के माध्यम से जो विचारों की अभिव्यक्ति की, विचार सार व सूक्तियाँ जो वे लिखे गये या अनायास कभी कह गये तथा पत्रों के माध्यम से जो अंतरंग स्पर्श जन-जन को दिया, वह समग्र इस वांग्मय के खण्डों में है। कुल 108 खण्डों में युगऋषि का यद्यपि समग्र लेखन, वक्तृत्व एवं कर्तृत्व समाता नहीं है तथापि, अपनी ओर से सभी महत्वपूर्ण अंशों में इसमें लेने का प्रयास किया गया है। अब तक प्रकाशित 70 खण्डों के नाम इस प्रकार है-
युगद्रष्टा का जीवन-दर्शन (समग्र वांग्मय का परिचय)
जीवन देवता की साधना-आराधना
उपासना-समर्पण योग
साधना पद्धतियों का ज्ञान और विज्ञान
साधना से सिद्धि-1
साधना से सिद्धि-2
प्रसुप्ति से जाग्रति की ओर
ईश्वर कौन है ? कहाँ है ? कैसा है ?
गायत्री महाविद्या का तत्त्वदर्शन
गायत्री साधना का गुह्य विवेचन
गायत्री साधना के प्रत्यक्ष चमत्कार
गायत्री की दैनिक एवं विशिष्ट अनुष्ठान-परक साधनाएँ
गायत्री की पंचकोशी साधना एवं उपलब्धियाँ
गायत्री साधना की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि
सावित्री, कुण्डलिनी एवं तंत्र
मरणोत्तर जीवन : तथ्य एवं सत्य
प्राण शक्तिः एक दिव्य विभूति
चमत्कारी विशेषताओं से भरा मानवीय मस्तिष्क
शब्द ब्रह्म-नाद ब्रह्म
व्यक्ति विकास हेतु उच्च स्तरीय साधनाएँ
परिमित संभावनाओं का आगार मानवी व्यक्तित्व
चेतन, अचेतन एवं सुपर चेतन मन
विज्ञान और आध्यात्म परस्पर पूरक
भविष्य का धर्मः वैज्ञानिक धर्म
यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान
यज्ञः एक समग्र उपचार प्रक्रिया
युग-परिवर्तन कैसे और कब ?
सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण-1
सूक्ष्मीकरण एवं उज्ज्वल भविष्य का अवतरण-2
(सतयुग की वापसी)
मर्यादा पुरुषोत्तम राम
संस्कृति-संजीवनी श्रीमद् भागवत् एवं गीता
रामायण की प्रगतिशील प्रेरणाएँ
षोडश संस्कार विवेचन
भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व
समस्त विश्व को भारत के अजस्र अनुदान
धर्मचक्र प्रवर्तन एवं लोकमानस का शिक्षण
तीर्थ सेवन : क्यों और कैसे ?
प्रज्ञोपनिषद
निरोग जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र
चिकित्सा उपचार के विविध आयाम
जीवेम शरदः शतं
चिरयौवन एवं शाश्वत सौंदर्य
हमारी संस्कृतिः इतिहास की कीर्ति स्तम्भ
मरकर भी अमर हो गये जो
साँस्कृतिक चेतना के उन्नायक सेवाधर्म के उपासक
भव्य समाज का अभिनव निर्माण
यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता
समाज का मेरुदण्ड सशक्त परिवार तंत्र
शिक्षा एवं विद्या
महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग-1
महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग-2
विश्व वसुधा जिनकी सदा ऋणी रहेगी
धर्मतत्त्व का दर्शन व मर्म
मनुष्य में देवत्व का उदय
दृश्य जगत की अदृश्य पहेलियाँ
ईश्वर-विश्वास और उसकी फलश्रुतियाँ
मनस्विता, प्रखरता और तेजस्विता
आत्मोत्कर्ष का आधार-ज्ञान
प्रतिगामिता का कुचक्र ऐसे टूटेगा
विवाहोन्माद समस्या और समाधान
गृहस्थ एक तपोवन
इक्कीसवीं सदी नारी सदी
हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण
राष्ट्र समर्थ और सशक्त कैसे बने ?
सामाजिक, नैतिक एवं बौद्धिक क्रान्ति कैसे ?
युग-निर्माण योजना-दर्शन स्वरूप व कार्यक्रम
प्रेरणाप्रद दृष्टांत
पूज्यवर की अमृतवाणी-1
विचारसार एवं सूक्तियाँ-1
विचारसार एवं सूक्तियाँ-2
प्रत्येक खण्ड का मूल्य रु. 125/.. 70 खण्ड के सेट का मूल्य रु. 7000/.. शेष 38 खण्ड 1 वर्ष में प्रकाश्य।
अखण्ड-ज्योति संस्थान, मथुरा- 281003