VigyapanSuchana

October 1997

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श्रवण कुमारों का आह्वान

पूज्यवर शरीर नहीं, विचार थे। वे कहते थे। वे कहते थे - जैसे श्रवण कुमार ले अपने माता - पिता को सभी तीर्थों की यात्रा कराई, वैसे ही आप भी हमें भारत के तीर्थ प्रत्येक गाँव, प्रत्येक घर में ले चलें। हमारे ये विचार क्रान्ति के बीज हैं, जो अगले दिनों धमाका करेंगे। “ अन्य कई अवसरों पर उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि तुम हमारा काम करो, हम तुम्हारा कम करेंगे।

क्या आप श्रवण कुमार की भूमिका सम्पादित करने के लिए महाकाल का आह्वान स्वीकार करते हैं ? प्रचार वाहन में उनके मूर्तिमान् स्वरूप वाह्य को लेकर देश में जगह - जगह जाकर इनकी स्थापना कराने हेतु संकल्प भाव से कार्य करेंगे ? इसके लिए यदि आप एक बार में तीन माह का समय निकाल सकते हैं, तो कृपया अपना नाम - पता, फोन नं0 , समयदान की अवधि (जनवरी - मार्च, अप्रैल- जून तथा अक्टूबर - दिसम्बर), आयु, स्वास्थ्य की स्थिति, योग्यता, प्रचार - प्रसार का अनुभव (मिशन में या अन्य कहीं), वांग्मय स्थापना का विवरण, परिवार में कौन - कौन आप पर आश्रित हैं - आदि का उल्लेख करते हुए हमें शीघ्र लिखें।


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