काल के आयाम में भविष्य की यात्रा

January 1996

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मनुष्य सामान्य रूप से जो कुछ देखता और जितना कुछ ग्रहण करता है, वह उसकी स्थूल संरचना की विशिष्टता की परिणीत है।

उसके सूक्ष्म बनावट और उसके सूक्ष्म क्रिया - कौशल इतने विलक्षण और विराट स्तर के है, जिन्हें शब्दों की अभिव्यक्ति करना संभव नहीं। जब हम आध्यात्मिक उपचारों द्वारा चेतना को परिष्कृत करना प्रारम्भ करते हैं तो सूक्ष्म चेतना केन्द्र विकसित और जागृत बनने लगता है।

यही यह अवस्था है जब, अमूर्त, मूर्तिमान और अगोचर गोचर बनने लगते हैं। दूसरे शब्दों में साधक को परोक्ष जगत में गति आरंभ हो जाती है और वह बहुत कुछ ऐसी देखने और जानने की क्षमता अर्जित कर लेता है, जो साधारण नहीं, असाधारण है। विगत ओर अनागत समय की जानकारियाँ प्राप्त कर लेना ऐसे लोगों के लिए संभव हो पाता है, किन्तु यदा कदा ऐसा अनायास और आकस्मिक रूप से ही हो पाता है और व्यक्ति भूत एवं भविष्य के संबंध में महत्वपूर्ण सूचनाएँ हस्तगत कर लेता है।

घटना जून 1974 की है। एक शनिवार को फिलक्सबोरी, हम्बरसाइड की लेस्ली कैसल्टन नामक एक महिला सुबह सुबह अपने टेलीविजन सेट पर फिल्म देख रही थी, तभी अचानक बीच में ही चलचित्र रुक गया और टेलीविजन के पर्दे पर दो शब्द उभरे -’विशेष समाचार’। इसी के साथ एक पुरुष शब्द उभरा और समाचार देने लगा कि फिलक्सबोरी के विशाल रसायन संयंत्र में एक भयानक विस्फोट के साथ आग लग गई है। इससे लगभग संपूर्ण संयंत्र विनष्ट हो गया है और करीब 21 लोग मारे गये हैं। आस पास के क्षेत्र को खाली करा दिया गया है क्योंकि उसमें खतरनाक जहरीली गैसें निकल रही है। समाचार वाचक ने घायलों की संभावित संख्या के साथ साथ उन रसायनों का उल्लेख किया जो इस भीषण दुर्घटना के लिए जिम्मेदार समझे जा रहें थे।

इस उद्घोषणा के साथ विशेष समाचार समाप्त हुआ और पर्दे पर फिल्म पुनः अपने लगी। कैसन्टन ने समझा कि दुर्घटना की जानकारी देने और उससे निकल रही विशेष गैस के प्रति लोगों को सतर्क करने के लिए ऐसा किया गया। दोपहर को उसके जब कुछ मित्र भोजन के लिए घर पर आई तो उनसे इस घटना की चर्चा की। इसके बाद बात आई गई हो गई। रात को जब लेस्ली और उसके पति ने टी.वी. पर समाचार देखा तो उसमें दुर्घटना का समय साढ़े चार बजे शाम कह कर उल्लेख किया गया। लेस्ली ने सोचा यह वाचक की भूल है किन्तु जब दूसरे दिन अर्थात् रविवार का समाचार पत्र आया तो तो उसमें भी घटना का वही समय पाकर उसने सम्पादक को फोन किया दुर्घटना का सही समय जानना चाहा, किंतु जवाब में वही समय बताया गया, जिसकी चर्चा समाचार पत्र में की गयी थी। उसने बार बार संपादक से एक ही प्रश्न किया कही आप भूल तो नहीं कर रहें है। उत्तर में हर उसके सही होने की दृढ़ता दोहराई गई। शंका निवारण जब यहाँ से नहीं हो सका तो लेस्ली कैसटन ने दूरदर्शन पर फोन कर यह सुनिश्चित करना चाहा कि प्रातः में वे विशेष समाचार और रात्रिकालीन समाचारों में दुर्घटना से संबंधित समय में जो विरोधाभास है, उसमें सही कौन सा है ? इस प्रश्न के उत्तर में केन्द्र से प्रति प्रश्न किया गया कि पूर्वाह्न में तो यहां से कोई विशेष समाचार तो प्रसारित ही नहीं किया गया, फिर आप किस समाचार और समय संबंधी किस अंतर्विरोध की चर्चा कर रही है ? यहाँ से दुर्घटना संबंधी वही समय हर बुलेटिन में गया है जो घटना का वास्तविक सम है अर्थात् साढ़े चार बजे शाम। यह सुनकर लेस्ली की हैरानी और बढ़ी। वह विचार करने लगी कि फिर जो कुछ उसने फिल्म के मध्य सुना वह क्या था ? इसे कानों का धोखा कहा जा सकता है। मन मानने को तैयार नहीं था, क्योंकि उसमें दुर्घटना का सुविस्तार वर्णन था, जिसका जिक्र उसने अपनी एक सहेली से दोपहर के वक्त किया था एवं मृतकों एवं घायलों की संख्या भी बताई थी, रसायनों के नाम भी बताये। यह सब कुछ समाचार पत्र से हू बहू मिल रहें थे। केवल समय के संबंध में ही विवाद की गुंजाइश थी। इतनी सटीक जानकारी को कानों की भ्राँति नहीं कहा जा सकता। तो फिर यह क्या थी? टी. वी पर यह संदेश 6 घंटे पूर्व प्रसारित करने वाला कौन था ? और प्रसारण भी ऐसा जो सिर्फ उसी के टेलीविजन पर आये। शो यंत्र उसे ग्रहण न कर सके। उसने बहुत माथापच्ची की, पर कुछ समझ नहीं आया। हार कर इस प्रसंग को अपने दिमाग से निकाल दिया।

उसी वर्ष मूर्धन्य विज्ञानवेत्ता एण्ड्र टामस की एक पुस्तक प्रकाशित हुई नाम था “ वियोण्ड दा टाइम वैरिया “। इस ग्रंथ में उन्होंने इस प्रकार की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है कि सुदूर भविष्य के गर्भ में पक रही कोई महत्वपूर्ण घटना विद्युत चुम्बकीय तस्वीर का रूप ग्रहण कर अकस्मात् किसी टी. वी. सेट पर मूर्तिमान हो पड़े। चूँकि उपरोक्त उपकरण के घट चुकने तक उसकी रचना प्रकाशित की जा चुकी थी, अतएव उसे पुस्तक में सम्मिलित नहीं किया जा सकता।

एक मिलते-जुलते वृत्तान्त का वर्णन लेखक ने अपनी कृति में यों किया है। प्रसंग सन् 1946 का है। अमेरिका के इलिवान्यज राज्य के बेलवुड शहर की एक महिला हेलन याँर्क एक दिन अपने रसोई घर में बर्तन साफ कर रही थी, तभी उसकी खिड़कियों में लगा काँच अचानक झिलमिला उठा। नजर उधर गयी तो सिनेमा के पर्दे की तरह उसमें चित्र दिखाई पड़ रहें थे। सर्वप्रथम उसने घर के बाहर सड़क किनारे चाडी अपनी कार देखी। इसके उपरान्त उत्तर की दिशा से आती हुई एक अन्य कार दिखाई पड़ी। ड्राइवर उसकी गति और दिशा नियंत्रित न कर सका और खड़ी कार से वह किनारे से आ टकराई। चालक तुरंत बाहर निकला। उसने सामने से दरवाजा खोला। उससे बाहर आता हेलन को एक व्यक्ति दिखाई पड़ा। वह लंगड़ा और लड़खड़ा रहा था। संभवतः दुर्घटना से चोट आई थी। उसने पहले तो दुर्घटनाग्रस्त मोटर पर नजर डाली और भागने लगा॥ शायद वह पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता था, इसीलिए भाग खड़ा हुआ, पर नियन्ता के अदृश्य कैमरे ने उसका पीछा किया और वह एक भवन के तहखाने में रखे कुछ बड़े संदूकों के पीछे छिपता दिखाई पड़ा। इसके पश्चात दृश्य परिवर्तित हुआ। हेलन अब पुलिस को उन दोनों का निरीक्षण करती देख रही थी। दृश्य का पुनः पटाक्षेप हुआ। अब सामने पुलिस स्टेशन दृष्टिगोचर हो रहा था। अधिकारीगण कार चालक के लिए अन्दर प्रवेश कर रहें थे। एक कमरे में ले जा कर उससे पूछताछ करनी आरम्भ कर दी। ड्राइवर भयभीत प्रतीत हो रहा था। चालक ने पूछताछ के मध्य अपने नशे में होने की बात स्वीकार की। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने इसे दुर्घटना का मामला मान लिया। खिड़की का काँच एक बार फिर चमका और सब कुछ सामान्य हो गया। इस विचित्र दृश्य को देख कर हेलन को कौतूहल तो हुआ, पर उसने कहा किसी और से नहीं। दोपहर बाद वह, उसका पति और एक मित्र स्मिटी एक राजनीतिक सभा में सम्मिलित होने गये। वे सभी मित्र की गाड़ी में सवार हो कर गये। जबकि उनकी अपनी कार घर के बाहर यथावत खड़ी रही। हेलेन ने अपने पति से उसे गैराज में बन्द कर देने के लिए बहुत आग्रह किया, पर पति ने हर बार यह कह कर टाल दिया कि कुछ नहीं होगा।

शाम को जब वे घर लौटे तो उन्होंने अपनी गाड़ी को क्षतिग्रस्त पाया। लोगों ने पुलिस को सूचित करने की सलाह दी, किन्तु हेलन ने यह कहते हुए सबको आश्चर्यचकित कर दिया वह सब कुछ जानती है। पीछे उसके बताये भवन से उस दूसरे व्यक्ति को पकड़ा गया, जो दुर्घटना के बाद उसके तहखाने में छिपा बैठा था। बाद में उसने अधिकारियों को दुर्घटना का विस्तृत ब्यौरा दिया तो पुलिस अफसर ने इससे सहमति प्रकट की। अधिकारियों के यह पूछने पर उसने इतनी जानकारी कहाँ और कैसे प्राप्त की? उसने खिड़की पर उभरी फिल्म का विस्तृत वृत्तान्त बताकर सभी को अचम्भे में डाल दिया।

यह महत्वपूर्ण घटना पहली बार हेलेन ने ‘फेट’ पत्रिका के संपादक को सन् 1988 में बतायी थी और उसी वर्ष के जनवरी अंक में यह सर्व प्रकाशित हुई।

‘भविष्य गमन’ क्या है? समय के इस काल खण्ड में व्यक्ति क्यों कर प्रवेश कर पाता हैं? प्रवेश करने के पश्चात वह अपने पूर्व दिक्−काल में कैसे लौट आता है, इन सब को सही वैज्ञानिक व्याख्या ‘क्वाँटम भौतिकी’ में निहित है। जे. वी दृ प्रिस्टले ने अपनी पुस्तक “मैन एण्ड टाइम” में इसकी विशद व्याख्या प्रस्तुत की और लिखा है कि जब हम त्रिआयामी विश्व के किसी उच्चतर आयाम की व्याख्या करते हैं तो उसका अर्थ मात्र समय के आयाम से होता है। उनने यह बात की संभावना प्रकट की है कि इस प्रकार के अनेकानेक ‘टाइम डायमेन्सन’ इस भौतिक जगत के समानान्तर उससे गुँथे हुए हो सकते हैं। यही कारण है कि व्यक्ति अपने स्थान पर मौजूद होते हुए ही किसी अन्य विश्व में पहुँच जाता है। उनने इस बात को अपने ग्रंथ में उल्लेख किया है कि क्वांटम भौतिकी के विकास द्वारा संभव है। आने वाले काल में समय के व्यवधान को दूर किया जा सके, ताकि मनुष्य एक आयाम से दूसरे आयाम में

अप्रतिहत प्रवेश कर सके। उनने संभाव्यता व्यक्त की है कि विज्ञान जब भी कभी इस प्रकार की क्षमता अर्जित करेगा और आदमी को स्थूल जगत से सूक्ष्म जगत में प्रविष्ट कराने में सफल हो सकेगा, तो उसके लिए निश्चित रूप से किसी न किसी प्रकार के वाह्य कारक की आवश्यकता पड़ेगी, जो उसके मस्तिष्क में क्रिया कर उसे इस योग्य बना दें कि व्यक्ति अपने स्थान पर ही स्थित रहकर किसी अदृश्य लोक की अगोचर दृश्यावली का सिंहावलोकन कर सके। दूसरे शब्दों में उसे एक डायमेन्सन से किसी दूसरे आयाम में ले चलें। इस प्रकार के कारकों में आकस्मिक तीव्र प्रकाश, असामान्य स्त्र की विद्युत ऊर्जा आदि ऐसे उद्दीपन हो सकते हैं, जो उनके अनुसार मनुष्य को कृत्रिम रूप से अनागत और विगत काल खण्डों में प्रवेश करा सके।

‘दि मास्क ऑफ टाइम’ नामक अपनी कृति में लेखिका जोन फोरमैन स्वयं से संबंधित अनागत गमन की कई घटनाओं का वर्णन किया है। इसी प्रकार ‘ टाइम स्पिल ‘ नामक ग्रंथ में इवान सैर्ण्डसन ने इस बात की आशा प्रकट की है कि कृत्रिम ढंग से एक आयाम से दूसरे आयाम में प्रवेश कर सकना आने वाले समय में विज्ञान सफलता पूर्वक संपन्न कर सकेगा।

कृत्रिमता की तुलना में यदि हम वास्तविकता पर विचार करें तो विदित होगा कि वह कही अधिक सरल व सुनिश्चित, अधिक स्थायी तथा अधिक आनन्ददायक है। हम दुरूह पथ की अपेक्षा सरल और सुनिश्चित राजमार्ग चुनें, स्वयं को परिष्कृत करें, अंतराल को उदात्त बनाये। समय के व्याघात को समाप्त कर एक से दूसरे आयाम में पहुंचने और वहाँ की दिव्य अनुभूतियों से स्वयं ओत प्रोत करने का इससे कोई सुगम उपाय नहीं। अध्यात्म तत्व ज्ञान का एक शब्द में यही निचोड़ है।


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