Quotation

January 1996

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कुम्हार घड़ा गढ़ते समय भीतर से सहारा देता और बाहर से चोट लगता है। सच्चे गुरु का व्यवहार भी श्रद्धावान शिष्य के लिए ऐसा ही होता है।


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