समष्टि से जुड़े, भविष्य को जानें

January 1996

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मानव जीवन का जो वर्तमान स्वरूप दिखाई पड़ता है वस्तुतः वह इतने ही सीमित नहीं है। ईश्वर का अविनाशी अंश होने के कारण उसमें वह समस्त क्षमताएँ और विभूतियाँ विद्यमान है जो सृजेता में है। प्रत्येक व्यक्ति शक्तियों का भण्डागार है। उसका संबंध न केवल वर्तमान से वरन् भूत से एवं अनन्त भविष्यकाल से भी जुड़ा है। वर्तमान एवं अतीत की तरह वह अनागत भविष्य की संभाव्य घटनाओं को देख सकने में समर्थ होता है। ट्रयू एक्सपीरिएंस इन प्रोफेसी नामक अपनी विकृति में परामनोवैज्ञानिक मार्टिन ण्बाँन ने इस तरह की सैकड़ों घटनाओं का वर्णन किया है।

घटना 4 मई 1927 की है कैलीफोर्निया के मार्लबरो एवेन्यू वहाँ के पुलिस अधीक्षक श्री एडवर्ड्स पत्नी के पास बैठे चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। उनके सामने बैठी भविष्यवक्ता श्रीमती मिरिल हाँफमैन। चर्चा भविष्य कथन पर चल रही थी जिसे श्री एडवर्ड मात्र कोरा गल्फ एवं जालसाजी बता रहे थे। बात ही बात में श्रीमती मिरिल हाँफमैन ने श्री एडवर्ड को चुनौती देते हुए कहा कि यदि मैं चाय के इस प्याले में देखकर आने वाले दिनों की घटनाओं के बारे में कुछ प्रकाश डालूँ तो ? “ यह न भूलना कि मैं आप को गिरफ्तार कर सकता हूँ यदि बात कही संदेहास्पद हुई तो “ पुलिस अधिकारी ने कहा।

चाय का प्याला हाथ में लेकर उसमें झाँकते ही श्रीमती मिरिल एक दूसरे ही चेतनात्मक आयाम में पहुँच गयी। उन्होंने बताया कि अगले रविवार एक धनी मानी व्यापारी की हत्या कर दी जायेगी, साथ में एक अन्य व्यक्ति भी मारा जायेगा। उसका शरीर छलनी की तरह गोलियों से क्षत विक्षत होगा और तीसरा सरकारी गणवेशधारी व्यक्ति भी बुरी तरह से जख्मी हालत में मिलेगा। यह घटना घटित अवश्य होगी, लेकिन किस स्थान पर बता नहीं सकती। ” ऐसे में सिर पैर की कथनी को भला पुलिस अधिकारी कब मान्यता देने वाला था। लेकिन जिस ढंग से श्रीमती मिरिल हाँफमैन ने विश्वास भरे शब्दों से घटनाक्रम का वर्णन किया था, उसमें शंकाओं के लिए कोई गुँजाइश नहीं दिखती थी। अतः सतर्कता बरतने का क्या दोष हैं ? किसी तरह रविवार की रात व्यतीत हुई। सोमवार को साढ़े सात बजे जब वह पुलिस हेडक्वार्टर पहुँचता है तो जानकारी मिलती हैं कि कैलीफोर्निया के थियेटर मालिक जैमस एफ मोली की रात में हत्या कर दी गई हैं, हत्यारे भाग रहे थे, जिनका पीछा दो पुलिस काँस्टेबिलों ने किया। हत्यारे लम्बी भाग दौड़ के बाद एक कमरे में छिप गये थे॥ टोमरो मिन्टन नामक सिपाही ने बहादुरी के साथ उनमें से एक को मार गिराया। इस मुठभेड़ में वह स्वयं भी बुरी तरह जख्मी हो गया था। यह रात श्रीमती हाँफमैन के हत्यारे पहचान बताते हुए कहीं थी। इतने सटीक पूर्व कथन से वह हतप्रभ रह गया।

भारतीय मनीषियों ने पूर्व कथन को अतीन्द्रिय संवेदना माना है और कहा है कि सामान्य चेतना के लिए विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों की आवश्यकता होती हैं, किन्तु इन्द्रियातीत ज्ञान का आधार अंतःकरण है। पातंजलि योगसूत्र में भी कहा गया है-”परिमाणत्रय संयमात अतीता - अनागता ज्ञानप्। ” किन्तु कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी भी घटनायें घट जाती हैं जिनके आधार पर मनुष्य को पूर्वाभास, भविष्य दर्शन करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है या यह भी कहा जा सकता है कि कितने ही व्यक्तियों को यह अनायास ही उभरती है तो कितने ही व्यक्ति उसे प्रयत्न पूर्वक विकसित कर लेते हैं तो कितने ही मनीषियों को अंतः स्फुरणा के आधार पर बड़े बड़े ग्रंथों की रचना कर डाली है और उनमें वर्णित घटनाक्रम आगे चलकर सही भी सिद्ध हुए है। ‘दी मैन आफ दी मून’ आरथर काँननडायेल की एक ऐसी ही कृति है जो चन्द्रमा पर मनुष्य के पदार्पण करने के कई वर्ष पूर्व लिखी गई थी। सन् 1898 में राबर्टसन ने ‘द रैंक ऑफ टाइरन’ नामक अपने बहुचर्चित उपन्यास में बताया था कि कभी न डूबने वाला टाइरन जहाज बर्फ की चट्टान से टकरा कर पानी में डूब जाता है और उसमें सवार हजारों यात्री जल समाधि ले लेते हैं। 1912 में 14 अप्रैल के दिन एस-एस टाइटैनिक नामक दुर्भेद्य जहाज अपनी प्रथम जल यात्रा में ही उत्तर अटलांटिक महासागर में बर्फ की चट्टानों से टकराकर डूब गया। उपन्यास में बताये गये जहाज की भार क्षमता 75000 टन, ऊँचाई 882 फीट थी और उसमें बैठे यात्रियों की संख्या भी उतनी ही थी। स्मरण करने योग्य तथ्य यह है कि इस जहाज में यात्रा करने वालों में से अधिकाँश व्यक्तियों को पूर्वाभास हुआ था, फलतः कइयों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी।

विश्व विख्यात ‘गुलीवर्स ट्रैवल’ उपन्यास के लेखक जोनाथन स्विफट ने डेढ़ सौ वर्ष पूर्व ही लिया दिया था कि मंगल ग्रह के चारों ओर दो चंद्रमा परिक्रमा करते हैं और उनमें से एक की चाल दूसरे से दूनी है। डेढ़ सौ वर्ष बाद सन् 1877 में एक शक्ति शाली दूरबीन के सहारे खगोल विदों ने जब यह खोज निकाला कि मंगल ग्रह पर वास्तव में दो उपग्रह हैं जिसमें एक की चाल दूसरे के दमनी हैं तो लोग आश्चर्य चकित रह गये कि उस साधन हीन जमाने में इस तरह की कल्पना भी कैसे की जा सकी ? इसी तरह विज्ञान कथा लेखिका मेरी निबेन ने अपनी प्रसिद्ध कृति- ‘ए होल ऑफ द स्पेस’ में एक ऐसे तारे की कल्पना की थी जो आकार में सूर्य से दस गुना अधिक था, लेकिन अरबों वर्ष बाद सिकुड़कर साठ किलोमीटर अर्द्धव्यास का ही रह गया, किंतु इसका भार तब से सूर्य से दस गुना अधिक था। करीब एक शताब्दी के बाद जब 1972 में ‘साइगन्सस - एक्स-वन’ नामक ब्लैक होल का पता लगा तो पाया गया कि तारे का भार एवं अर्द्ध व्यास ठीक उपन्यास में बताये गये वर्णन के अनुसार ही है।

अब तो पैरासाइकोलॉजी, मेटाफिजिक्स आदि विज्ञान के जानकार भी यह स्वीकार करने लगे है कि मानवी अंतःचेतना न केवल बहुआयामी है, वरन् वह विरा विश्व मन का ही अंश है और सूक्ष्म जगत की हलचलों को देखने सुनने व समझने में सक्षम है। चतुर्थ आयाम की परिकल्पना करने वाले महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने भी जीवन के अंतिम दिनों में कहा था कि - “ मेरे जीवन का सबसे सुखद अनुभव यह हुआ कि कोई अदृश्य चेतना विश्व ब्रह्माण्ड की नियामक है। वही सम्पूर्ण सत्य, कला और विज्ञान का स्रोत है। मनुष्य उसी की अनुकृति है। “ सुप्रसिद्ध विज्ञान लेखिका वैरी स्टेनली एल्डर ने अपनी पुस्तक ‘दी फिफथ डायमेन्स ‘ में कहा है कि सामान्य लोगों के लिए चर्मचक्षुओं से भरे दृश्यमान सूक्ष्म जगत की जानकारी को चतुर्थ आयाम कहा जा सकता है। अणु विस्फोट, विकिरण, प्रकाश, रेडियो, टेलीविजन आदि की जानकारी और उसकी जन जीवन में उपयोग। ये सब चतुर्थ आयाम की उपलब्धियाँ तो हैं, किन्तु इन संयंत्रों को बना लेने वाली मानवी चेतना सत्ता में भी तो अद्भुत कही जाने वाली करामातों से कही अधिक शक्तिशाली क्षमता या उच्चस्तरीय आयाम सन्निहित है।

वास्तव में देखा जाये तो एक छोटी सी मानवी काया में समूचा विश्व ब्रह्माण्ड ही सूक्ष्म रूप से समाया हुआ है और उनमें सृष्टि के प्रत्येक जीवधारी में पायी जाने वाली विशेषतायें विद्यमान है। ‘ दि इनिसियन्स ऑफ द वर्ल्ड ‘ नामक पुस्तक में जिस तरह बताया गया है कि ठोस, तरल, गैस, ईथर आदि मिलकर पदार्थ की सात अवस्थायें, ठीक उसी तरह मानवी चेतना की एक से बढ़कर एक उच्चस्तरीय सात परतें हैं पूर्वाभास, दूर, श्रवण, दूरदर्शन, भविष्य दर्शन, परकाया प्रवेश आदि अतीन्द्रिय क्षमतायें सब उसी के छोटे मोटे उभार मात्र है। समाधि स्तर की सिद्धियों को उच्चस्तरीय माना जाता सकता है। आजकल पाश्चात्य देशों में मैस्मेरिज्म, हिप्नोटिज्म, पर्सनल, मैग्नेटिज्म, मेन्टल, थैरेपी आकल्ट साइन्स, टेलीपैथी, मेन्टल हीलिंग आदि के चमत्कारों की धूम है। प्राचीन काल में तंत्र क्रिया, मंत्र शक्ति प्राण विनिमय, साबरी विद्या, छाया पुरुष, पिशाच सिद्धि, शवसाधन, दृष्टिबन्ध, अभिचार घात, कृत्या, सर्पकीलन आदि चमत्कारी शक्तियों का बोलबाला था। परामनोवैज्ञानिक जिन्हें अद्भुत अतीन्द्रिय क्षमता और पैराकाइनेसिस नाम देता है, वे वस्तुतः मनश्चेतना के विभिन्न आयाम ही है। विज्ञानवेत्ता इसे ही ‘साई’ नाम से सम्बोधित करते हैं।

भविष्य का पूर्वानुमान किन आधारों पर संभव होता है, इस संबंध में चर्वा करते हुए स्वामी विवेकानन्द ने बताया कि मनुष्य अर्थात् व्यष्टि घटक समष्टि का ही एक अंग अवयव है और उसमें समष्टि मन से महाप्राण चेतना से संबंध स्थापित करने तादात्म्य बिठाने की अभूतपूर्व सामर्थ्य है। यही सामर्थ्य भविष्य की झलक - झाँकी अपने मन मस्तिष्क में देख पाने का मूल भूत आधार है। इस संबंध में जर्मनी के फ्रीवर्ग यूनिवर्सिटी के श्री हान्स बेन्डर ने गहन अनुसंधान किया है। उनका निष्कर्ष है कि इस प्रकार के सर्वाधिक भविष्य कथन द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व हुए है। जो इस तथ्य का रहस्योद्घाटन करते हैं कि समष्टि मन ऐसे प्रसंगों में विक्षुब्ध हो उठता है और भविष्य में समाहित होने वाले अंतःकरणों के पूर्वाभास के रूप में दिखने लगता है।

ठस तथ्य को और अधिक स्पष्ट करते हुए श्रीमती वेरा ऐल्डर ने कहा कि आज विज्ञानवेत्ता जिस ‘ग्रेटयूनीफाइंग फोर्स’ की कल्पना करते हैं, अलग अलग नामों से जानी जाने वाली यह शक्तियाँ चाहे वह बिजली, चुंबकत्व, विकिरण या गुरुत्वाकर्षण आदि ही क्यों न हो, उन सबका एक ही सम्मिलित स्रोत है। यह एक सच्चाई है। समेकन मिला जाना, ऐक्य -परस्पर गुंथ जाना ही वैश्विक क्रम है। आइन्स्टीन ने जिस चेतना सत्ता का निर्देश किया है, वस्तुतः वही विश्व ब्रह्माण्ड की नियामक सत्ता है। उस नियामक सत्ता के जितने ही समीप हम जाते हैं, उतना ही अलगाव कम होता जाता है। विलगाव उससे दूरी की निशानी है। भौतिक जगत अलगाव का द्योतक है तो ऐक्य पराभौतिकता का द्योतक है। विश्लेषण, पृथक्करण ने हमें अनेकों भौतिक उपलब्धियाँ प्रदान की हैं, लेकिन चेतनात्मक आयामों की उच्चस्तरीय उपलब्धियाँ जब सामने आयेंगी तब हमें हतप्रभ ही रह जाना पड़ेगा।


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