भ्रम का नशा (Kahani)

April 1995

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

बोझ भरी गाड़ी को मजबूत बैल ढो रहे थे। उसके नीचे एक कुत्ता भी चल रहा था। उसे भ्रम हुआ कि गाड़ी उसी के बलबूते चल रही है। अहंकार से वह चला जा रहा था। गाड़ीवान् ने कुत्ते की विचित्र भाव-मुद्रा देखी तो उसके भ्रम को ताड़ लिया।

कुत्ते की पीठ पर गाड़ीवान् की एक चाबुक पड़ी वह तिलमिलाकर दूर जा खड़ा हुआ। गाड़ी चलती रही।

भ्रम का नशा उतरा तो कुत्ते ने समझा कि उसका अहंकार अवास्तविक था।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles