अपने विचारों पर पैनी नजर रखिए क्योंकि वे कुछ ही दिनों में शब्द बनकर मुखर होने लगेंगे अपने शब्दों पर और भी तीखी नजर रखिए क्योंकि वे धीरे -धीरे कर्म बनकर प्रकट होते है अपने कर्मों का परीक्षण करते रहिए क्योंकि वे अब नहीं तो फिर आदत बनकर रहेंगे। अपनी आदतों को भुलावे में मत डालिए। क्योंकि वे चरित्र बने बिना नहीं रह सकती। अपने चरित्र पर दृष्टि रखें क्योंकि यही आपके भविष्य का जन्म दाता है।