अनुमान लगाना उचित नहीं (Kahani)

December 1991

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एक मनोविज्ञानवेत्ता ने भय से मुक्ति दिलाने वाले एक उपचार का वर्णन इस प्रकार किया है- एक छोटी लड़की को सपने में अक्सर शेर दिखाई पड़ता था। वह उससे बेतरह डरती और नींद में ही उठकर चीखने चिल्लाने लगती। उसे मनोरोग चिकित्सक के पास ले जाया गया। ध्यानपूर्वक सारी बातें सुनने के उपराँत वह बच्ची को पास बिठाकर खुली हँसी के साथ बात करने लगा - ओह ! वह शेर मेरे पास भी सपने में आता है। पहले मैं उससे डरता था, पीछे मालूम पड़ा कि वह बहुत भला और भोला है। सिर्फ खेलने और खिलाने की गरज से मेरे पास आता है। बस मैंने उससे दोस्ती बना ली है। रात भर हम दोनों मजे से खेलते हैं और कभी-कभी तो वह मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर सैर कराने भी ले जाता है। तुम भी उससे दोस्ती कर लो, सचमुच बहुत मजा आयेगा।

लड़की को उसकी बात पर भरोसा हो गया और उसने शेर को सपने में दोस्त बना लेने का निश्चय किया।

बच्ची की माँ उस रात जागती रही। सोती बच्ची का चेहरा देखा तो लगा कि वह पहले की तरह शेर से डरने लगी और उसके चेहरे पर भय झलकने लगा। किन्तु थोड़ी देर में उसकी आकृति बदल गयी॥

जागने पर उसकी माँ ने पूछा तो वह खुशी भरे शब्दों में कहने लगी शेर सचमुच बहुत भोला था। वह मेरे साथ रात भर खेलता रहा। अब मैं रोज सपने में उसे बुलाया करूंगी। डर तो मुझे उसकी आकृति भर से लगता था। आकृति देखकर किसी की प्रकृति का अनुमान लगाना उचित नहीं।


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