जो सदा शंकाशील रहता है, उसकी गुत्थियाँ उलझती ही जाती है। शंका अशुभ भविष्य की कल्पनायें गढ़ कर सामने खड़ी कर लेती है और फिर उस झाड़ी के भूत से ही भयभीत होती और जो सहज संभव था, उसे कठिन बना लेती है।