हम भी जान सकते हैं, भवितव्यता को

June 1989

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कई अवसरों पर देखा जाता है कि भविष्य में जो घटनाएँ घटित होने वाली होती हैं, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हों, अथवा सामुदायिक जीवन से, उनका यदा-कदा आभास लोगों को मिल जाता है। ऐसे अवसर पर यदि उस दृश्य-संकेत को गंभीरतापूर्वक लिया जा सके, उसका सही अर्थ लगाया जा सके, तो अनेक बार इन पूर्वाभासों के माध्यम से आपदा विपदा, एवं दुर्घटनाओं से बचना तथा उनसे होने वाली क्षति को कम कर सकना भी संभव हो जाता है।

घटना इंग्लैण्ड की है। 8 दिसम्बर 1978 के दिन एडवर्ड पियरसन नामक एक व्यक्ति ट्रेन से लन्दन, की यात्रा कर रहा था, बिना टिकट सफर करने के अपराध में पकड़ा गया। जब उसे इस जुर्म में पकड़ कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया तो न्यायाधीश ने इसका कारण जानना चाहा। उससे इसका स्पष्टीकरण करते हुए कहा कि,”न तो मैं यह अपराध करने का इरादा रखता था और न मैं कोई अपराधी किस्म का ही व्यक्ति हूँ, पर परिस्थितियाँ कुछ ऐसी हो गई, जिसके कारण मुझे इस स्थिति में यात्रा करने के लिए बाधित होना पड़ा। वस्तुतः मुझे कुछ देर हो गयी थी। जब प्लेटफार्म पर पहुँचा, तो ट्रेन जाने के लिए तैयार खड़ी थी। इस स्थिति में जब तक मैं टिकट खरीदने के लिए टिकट-खिड़की तक जाता, वह ट्रेन छूट जाती और मुझे दूसरी ट्रेन के आने तक इन्तजार करना पड़ता, किन्तु कार्य इतना आवश्यक था, कि मैं दूसरी गाड़ी की प्रतीक्षा न कर सका और उक्त ट्रेन से बिना टिकट ही चल पड़ा, जिसके कारण अब मैं आपके सम्मुख खड़ा हूँ।”

उत्सुकतावश जब न्यायाधीश ने यह जानना चाहा कि आखिर वह कौन सा कार्य था, जिसके कारण यह स्थिति प्रस्तुत हुई? तो उसने आगे कहना आरंभ किया-”वस्तुतः मुझे यदा-कदा भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं और विभीषिकाओं का पूर्व ज्ञान हो जाया करता है, जो प्रायः सच साबित होता है। कल मुझे ऐसा ही एक पूर्वाभास हुआ कि “ग्लासगो” में एक भारी भूकम्प जल्द ही आने वाला है, जिसमें बड़ी संख्या में जन-जीवन की हानि होगी। इसी की पूर्व सूचना देने मैं मौसम-विज्ञान कार्यालय, लन्दन जा रहा था, ताकि इस आकस्मिक आपदा में कुछ बचाव किया जा सके।”

सामान्यतः ऐसी स्थिति में ऐसी बातों पर तुरन्त ही विश्वास नहीं हो पाता और समझा जाता है कि अपराधी स्वयं को बचाने के लिए यह सब कौतुक गढ़ रहा है। एडवर्ड पियरसन के साथ भी यही हुआ। न्यायाधीश ने उसकी बातों पर विश्वास नहीं किया और सजा सुना दी। उस पर अविश्वास करने का एक अन्य कारण यह भी था, कि ब्रिटिश द्वीप-समूह में भूकम्प विरले ही आया करते हैं, किन्तु इसके ठीक तीन सप्ताह बाद “डैण्डी कोरियर एण्ड एडवर्टाइजर” नामक दैनिक पत्र ने अपने 6 दिसम्बर वाले अंक में “बिना टिकट वाले की भविष्यवाणी” नामक शीर्षक से सुर्खियों में यह खबर छापी कि “ग्लासगो” में भयंकर भूकम्प से धन-जन की भारी क्षति हुई है” और इस प्रकार अन्ततः पियरसन का पूर्वाभास सत्य सिद्ध हुआ। इस सम्पूर्ण घटना का विस्तृत उल्लेख “दि अन एक्सप्लेन्ड मिस्ट्रीज ऑफ माइण्ड, स्पेस एण्ड टाइम” पुस्तक में किया गया है।

पूर्वाभास की इस महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए लन्दन के प्रतिष्ठित मनःचिकित्सक डा. जे.सी. बास्कर ने 1967 में “ब्रिटिश प्रीमोनीशन्स ब्यूरो” नामक एक ऐसी संस्था की स्थापना की, जिसमें लोग अपने पूर्वाभासों को दर्ज करा सकें, ताकि समय रहते प्राकृतिक विभीषिकाओं से बचाव कार्य किया जा सके। न्यूयार्क में भी ऐसी एक संस्था “सेन्ट्रल प्रीमोनीशन्स रजिस्ट्री” नाम से कार्यरत है। अमेरिका में इस संस्था की स्थापना राबर्ट डी.नेल्सन नामक शरीरशास्त्री के प्रयासों से हो सकी। इससे पूर्व वे पूर्वाभासों और स्वप्नों पर विश्वास नहीं करते थे, किन्तु एक बार उन्हें भी एक दुर्घटना का पूर्वाभास हो गया था तभी से उनकी आस्था इसके प्रति दृढ़ हो गई। एक शरीर विज्ञानी होने के नाते उनने इन पूर्वज्ञानों की वैज्ञानिक व्यवस्था भी की है। पूर्वाभास पूर्णतः विज्ञान सम्मत हैं, अब यह स्थापित हो चुका है।


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