VigyapanSuchana

March 1981

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-युग साहित्य का छः भाषाओं में प्रकाशन-

देश के सभी शिक्षितों तक प्रज्ञा अभियान का आलोक पहुँचाने के लिए हर दिन युग साहित्य की एक पुस्तिका छापने- हर व्यक्ति को दैनिक स्वाध्याय के लिए उसे बिना मूल्य घर बैठे-नित्य रूप से पहुँचाने की योजना बनी है। इसे ‘प्रज्ञा पुत्रों’ द्वारा तत्काल चालू किया जा रहा है।

युग साहित्य की पच्चीस पैसे वाली पुस्तिकाएं छपेंगी। सस्तेपन, सुन्दरता और उत्कृष्टता की दृष्टि से इसे प्रकाशन क्षेत्र का एक कीर्तिमान कहा जा सकेगा। इस साहित्य को इस वर्ष हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, उड़िया, बंगला इन पाँच अन्य भाषाओं में भी छापा जा रहा है। देश और विश्व की अन्य भाषाओं के क्षेत्र में भी इसी प्रकार क्रमशः बढ़ा जायेगा।

इस वर्ष जिन भाषाओं में यह प्रकाशन होगा उनके अच्छे अनुवाद की आवश्यकता पड़ेगी। परिजनों में से जो इसके लिए अपनी योग्यता को उपयुक्त समझते हैं वे इस अनुवाद कार्य में भी सहायता करने का अनुग्रह करें। सहयोग देने वाले शान्तिकुंज हरिद्वार के पते पर पत्र-व्यवहार कर लें।


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