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September 1978

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यदि तुम इस योग्य हो कि दूसरों को कुछ दे सको। दूसरों को मार्ग सुझा सको तो उससे दूसरों को अवश्य लाभान्वित होने दो।

यदि तुम्हारे पास ज्ञान है तो उस ज्योति से दूसरों को भी अपनी मशाल जलाने दो ताकि ज्ञान की ज्योति का प्रकाश अधिकाधिक विस्तीर्ण होता चला जाय व अन्धकार को धरातल पर रहने ही न दे।

तुम अपने ज्ञान को अपने तक ही सीमित रखोगे तो एक दिन वह तालाब के बन्द पानी की तरह सड़ जावेगा। तुम्हारे ज्ञान के दीपक को अपना प्रकाश बाहर फेंकने का स्थान न मिला तो वह बुझ जायगा। तुम्हारी गरिमा इसी में है कि तुम इसे बुझने न दो निरन्तर प्रकाशवान बनाए रखो।

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