मनुष्य की शीत सहने की शक्ति आमतौर से 25o सेन्टीग्रेड या 77o फारेनहाइट समझी जाती है। इससे अधिक ठण्डक में जीवन सम्भव नहीं हो सकता। जेमसक्यूरी ने एक पागल आदमी का इलाज करने के लिए उसे 45 मिनट तक 28o सेन्टीग्रेड तापमान पर रखा था। इसके बाद लारेन्स स्मिथ ने केन्सर का इलाज करने की शीत उपचार की−‘‘हाइपोथामिया’’ पद्धति का आविष्कार किया है। अमुक अंग को ठण्डक पहुँचाकर सुन्न करना और फिर उस स्थान का आपरेशन करना डॉ0 ड्रू ने सम्भव बनाया उन्होंने इस तरह के 90 सफल आपरेशन किये हैं।
गर्मी की उपयोगिता बहुत पहले समझ ली गई थी। अब शीतलता की शक्ति का पता चला है कि उसकी उपयोगिता भी कम नहीं। पुरुषार्थ और पराक्रम की गर्मी महत्वपूर्ण प्रयोजन प्रगति का पथ−प्रशस्त करने में कम योगदान नहीं करती। साथ ही यह भी जानना चाहिए कि अति सर्वत्र वर्जित है। गर्मी की अधिकता से विस्फोट होता है इसी प्रकार शीतलता की अति करने पर भी प्राणान्त का संकट उपस्थित होता है। हमें न अत्यधिक उग्र होना चाहिए और न इतना नम्र कि असन्तुलन से उत्पन्न होने वाले संकटों में ग्रसित होना पड़े।
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