संकल्प के साथ शक्ति भी आवश्यक

March 1976

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संकल्प को सफलता की जननी कहा गया है। यह इच्छा शक्ति का ही सघन रूप है। इच्छा−आकाँक्षा ही घनीभूत होकर व्यक्ति को कर्ममार्ग पर अग्रसर करती है और उसे अपने अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है। किसी भाप से चलने वाली रेलगाड़ी को पटरी पर दौड़ाने के लिए भाप आवश्यक है। यद्यपि उसके साथ चालक की इच्छा, आकाँक्षा और नियन्त्रण दक्षता भी आवश्यक है। चालक की कुशलता और दक्षता को इच्छा शक्ति का प्रतिरूप कहें तो अकेले रेलगाड़ी और चालक का होना ही पर्याप्त नहीं है। उसके लिए वाष्प से उत्पन्न की गई शक्ति जिसके कारण कि रेल के पहियों में गति आती है−का होना भी अति आवश्यक है।

यह सच है कि संकल्प के अभाव में शक्ति का कोई महत्व और मूल्य नहीं है उसी प्रकार यह भी सच है कि शक्ति के अभाव में संकल्प भी पूरे नहीं होते। केवल संकल्प करते रहने वाला निरुद्यमी व्यक्ति उस आलसी व्यक्ति की तरह कहा जायगा जो अपने पास गिरे हुए आम को उठाकर मुँह में भी रखने की कोशिश नहीं करता और इच्छामात्र से आम का स्वाद ले लेने की आकाँक्षा करता है।

संकल्प के साथ शक्ति को संयुक्त करना एक कला है और इसमें बहुत थोड़े लोग ही पारंगत हो पाते हैं। इसका कारण है परिश्रम और प्रयासों के प्रति निरपेक्ष बने रहना। बहुत से लोग मानस शास्त्र के सिद्धान्त पढ़−पढ़कर यही विश्वास करने लगते हैं कि− हम जो कुछ भी चाहते हैं वह हार्दिक आकाँक्षा होने पर हमें स्वतः ही प्राप्त हो जायगा। जबकि सचाई यह है कि केवल वे ही इच्छायें पूरी होती हैं, जिनके साथ सशक्त प्रयास भी जुड़े हों। यहाँ शक्ति का अर्थ उद्देश्य के प्रति दृढ़ निष्ठा, उसे पूरा करने के लिए आवश्यक प्रयास, मार्ग में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं से कभी भी शक्ति नहीं बन पाते। उनके अनुसार मन के लड्डू भले ही तोड़े जाते रहें।

उत्साह में उस स्तर की अभिवृद्धि के लिए क्या किया जाना चाहिए? और इस स्तर की अभिवृद्धि का क्या मापदण्ड है। लक्ष्य के प्रति ईमानदारी, भविष्य के प्रति आशापूर्ण दृष्टिकोण और मार्ग में आने वाली सभी कठिनाइयों से जूझने का साहस। संक्षेप में उद्यम, आशा और साहस−ये तीन ही वे प्राथमिक कसौटियाँ हैं जिनके आधार पर अपने उत्साह को परखा जा सकता है और संकल्प के साथ शक्ति को संयुक्त किया जा सकता है।

निष्कर्षतः सफलता की प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्प के साथ उद्यम, आशा और साहस का होना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है। अन्यथा खयाली पुलाव के अतिरिक्त और कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।

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