लानत (kahani)

April 1975

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सुकरात से चिढ़े हुए एक व्यक्ति ने चुनौती देते हुए कहा- अपने अपमान का कसकर बदला न ले सकूँ तो मुझ पर लानत।

बदले में सुकरात ने भी उसी आवेश के साथ उतर दिया- तुम्हें अपना घनिष्ठ मित्र न बना सकूँ तो मुझ पर लानत।


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