एकबार यमराज ने मृत्यु को बुलाकर एक हजार मनुष्य अमुक क्षेत्र में से मार लाने के लिए आदेश दिया।
मृत्यु ने वह कार्य तुर्त−फुर्त पूरा करने के लिए हैजा, प्लेग जैसे दूतों को भेज दिया। दूतों ने अपना काम मुस्तैदी से किया और कुछ ही समय में दो हजार मनुष्य मार कर यमराज के सामने प्रस्तुत कर दिये।
कार्य जल्दी पूरा हुआ इस पर तो यमराज ने प्रसन्नता व्यक्त की, पर साथ ही आश्चर्य से यह भी पूछा कि जब एक हजार मृतकों की आवश्यकता थी तो दो हजार का प्राण हरण क्यों किया गया?
दूतों ने निश्चित स्वर में कहा−देव, हमने गिनकर एक हजार ही मारे है। शेष तो दूसरों को मरते देखकर डर के मारे−स्वयं ही मर गये हैं और पीछे−पीछे खुद ही साथ चले आये हैं।