बसन्त पंचमी हमारा प्रधान पर्व-
बसन्त पंचमी अपने परिवार के लिये सबसे बड़ा और सबसे महत्व का पुण्य पर्व है। इसलिये हम सभी इसे बड़े उत्साह और चाव के साथ कई वर्ष से मानते चले आ रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से तो यह हमारा प्रधान हर्षोत्सव था ही, अब वह समस्त परिवार के लिये भी प्रेरणा पर्व बन गया है।
इस पुण्य पर्व के दिन आरम्भ में हमें प्रकाश मिला और साधना पथ पर कदम बढ़ा। शरीर किसी भी दिन पैदा हुआ हो हमारा आध्यात्मिक जन्मदिन यही है। जैसे संन्यासी होने के बाद पिता का नाम विसर्जित और गुरु नाम अपने नाम के आगे जोड़ा जाना आरम्भ हो जाता है। उसी प्रकार हमारा जन्म-दिन बसन्त पंचमी है। उसी दिन जहाँ कहीं हर्षोत्सव मनाये जाते वाले होते हैं, मनाये जाते हैं।
अखण्ड ज्योति पत्रिका इसी दिन से निकाली गई, गायत्री तपोभूमि का शिलान्यास इसी दिन हुआ। शत कुण्डी और सहस्र कुण्डी यज्ञों के संकल्प इसी दिन हुए। वेद, उपनिषद्, दर्शन, स्मृति, पुराण आदि महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इसी पर्व से आरम्भ किये जाते रहे। गायत्री परिवार इसी दिन बना। युग निर्माण योजना का शुभारम्भ इसी पर्व से किया गया। अपनी भावी तपश्चर्या से लेकर महाप्रयाण भी इसी पर्व को करने का मन है इस प्रकार हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक सभी कार्य इसी दिन से आरम्भ होते रहे हैं। अब से तीस वर्ष बाद युग परिवर्तन का स्पष्ट स्वरूप इसी दिन एक चमत्कारी घटना के साथ आरंभ होगा। अखण्ड ज्योति परिवार के सदस्य यह पर्व गत कई वर्षों से बड़े उत्साह और समारोह के साथ मनाते रहे हैं। इस वर्ष वह भी अधिक उल्लास के साथ मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष 22 जनवरी 1969 बुधवार को बसन्त पंचमी है। उस दिन सामूहिक जप, हवन, भजन कीर्तन, प्रवचन दीप-दान जैसे आयोजन तो होने ही चाहिए। साथ ही यह भी मिशन की प्रगति के लिये हम क्या कुछ कर सकते हैं उस पर भी विचार करना चाहिए। एक घण्टा समय, दस पैसा रोज ज्ञान यज्ञ के लिये निकालने वाली बात जिनने आरम्भ न की हो वे इस पर्व में आरम्भ कर सकें जिनका यह क्रम चल रहा है वे दूसरे नये साथी उत्पन्न करने का प्रयास करें तो यह पर्व सार्थक हो जाय। हमारे जन्म दिन पर शुभ कामना प्रकट करने, बधाई भेजने का शाब्दिक लोकाचार व्यर्थ हैं। किसी को कुछ वस्तुतः श्रद्धा हो तो हमारे मिशन को आगे बढ़ाने के प्रधान साधन दोनों पत्रिकाओं के सदस्य बढ़ाने का परिश्रम सच्ची श्रद्धा के रूप में प्रस्तुत करें।