बंदरिया की ममता

January 1969

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इटावा- कुछ दिन पूर्व ही एक बंदरिया ने एक बच्चे को जन्म दिया था, किन्तु दैवयोग से वह थोड़ी देर बाद ही मर गया। इससे बंदरिया बहुत दुःखी थी। वह कातर स्वर से बच्चे को पुकारती हुई छत पर घूमती रहती थी। एक दिन स्थानीय सावितगंज मुहल्ले में उसकी नजर एक नवजात पिल्ले पर पड़ी। उसने चार दिवसीय पिल्ले को अपना बच्चा समझ कर उठा लिया। कुतिया के भयंकर प्रतिरोध के बावजूद भी बंदरिया पिल्ले को छत पर ले गई और दुलार करने लगी। सहस्रों व्यक्तियों ने इस दृश्य को देखा। बंदरिया पिल्ले को लेकर अन्यत्र चली गई।


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