एक बार भगवान् बुद्ध के दर्शन के लिए अनेक भिक्षु अपने गुरु के साथ आये। वे आते समय बड़ा शोर-गुल कर रहे थे। भगवान् बुद्ध ने उनके गुरु को खबर भेजी कि वे उन्हें शील का अभ्यास ठीक से करायें, फिर उन्हें लायें। इनके गुरु वर्ष भर इनसे शील का अभ्यास कराया। जब ये भिक्षु भगवान बुद्ध के पास आये तब भगवान् चुपचाप शांत भाव से बैठ गये। भिक्षु लोग उनके सामने नियमानुसार बैठते गये। वे रात्रि भर बैठे रहे। आनन्द भगवान् बुद्ध को बार-बार उन भिक्षुओं के बैठे रहने की खबर देता परन्तु भगवान् कुछ न बोलते। सवेरा होने पर देखा गया कि सभी भिक्षु भगवान् बुद्ध के समान ही समाधिस्थ है।