प्रार्थना से ऐसी बहुत सी बातें हो जाती हैं जिनको दुनिया स्वप्न में भी नहीं सोचती । अतः एक झरने के समान रात-दिन अपनी आवाज मेरे लिये ऊपर उठाओ। अन्यथा जो मनुष्य अपने मस्तिष्क के भीतर एक अन्धकारमय जीवन व्यतीत करते हैं, वे भेड़ और बकरियों से उत्तम किस प्रकार हो सकते हैं? यदि ईश्वर को जान कर भी वे अपने लिये और मित्रों के हित में प्रार्थना करने को अपने हाथ नहीं उठाते।
-नोसन