यह सारी सृष्टि एक दैवी अनुशासन पर चलती है। जिस प्रकार सूर्य, चन्द्र, आकाश, समुद्र, पर्वत और हमारे चतुर्दिक् नक्षत्रगण एक अनुशासन पर चल कर अपनी-अपनी मर्यादा पर कायम रहते हैं, वैसे ही मनुष्य को भी अपने चतुर्दिक् के सभी कामों में अनुशासन का पालन अचूक और नियमित रूप से करना चाहिए।
—महात्मा गाँधी