अच्छी बातें जहाँ से मिलें वहाँ से ग्रहण करना चाहिए और अपनी बुराइयों को बिना किसी पक्षपात के छोड़ देना चाहिए। -ला. लाजपतराय
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मानसिक दासता से बढ़कर हानि देने वाली और कोई दासता नहीं है। -ला. लाजपतराय
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अपने देश से-अपने आप को, अपनी स्त्री या बच्चे को तथा अपनी सम्पत्ति को प्रेम करता है, वह तुच्छ और अपूर्ण देश भक्त है। -श्री अरविन्द घोष
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धर्म शास्त्रों में मातृभूमि को परमपूजनीय बतलाया है। जो धर्म के रहस्य को समझते हैं वे अपने हृदय में यह विश्वास करते हैं कि अपनी मातृभूमि से प्रेम करना ही धर्म का सबसे छोटा और सबसे बड़ा अंग है। -श्री अरविन्द घोष