तुम अपनी शक्तियों को संगठित करो और अपने बिखरे वस्त्र को एकत्र करो, तब काम करने में लग जाओ। ऐसा करने पर कोई तुम्हारी माँगों को पूरा करने से विरक्त नहीं हो सकता।
-लोकमान्य तिलक