प्रलय का दिन निकट है।

September 1949

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दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ का बोझा बढ़ता जा रहा है और इस से किसी समय पृथ्वी पर भारी उथल-पुथल हो सकती है। पृथ्वी को इस प्रलय से केवल कोई परमाणु विस्फोट ही बचा सकता है। यह विचार न्यूयार्क के समीपवर्ती ‘लोंगद्वीप’ के विख्यात विद्युत इंजीनियर ने अभी हाल में गम्भीरता पूर्वक प्रकट किये हैं। आपका नाम श्री ह्यू ए. ब्राउन है।

श्री ब्राउन ने यह नहीं बताया कि पृथ्वी पर प्रलय कब होगी। उन्होंने पिछले 35 वर्षों में पृथ्वी का गम्भीर अध्ययन किया है जिससे वह यह सिद्धाँत प्रतिपादित कर सके हैं कि भूपिंड इस हिम-संगठन के कारण प्रत्येक 8000 वर्ष में अपना सन्तुलन करने के लिए करवट बदलता है। यह 8000 वर्ष की अवधि फिर पूरी सी हो चुकी है और भूमण्डल कभी भी करवट ले सकता है।

‘जब यह प्रलय होगा, तब अधिकाँश महाद्वीप जल से परिप्लावित हो जायेंगे और उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों का जलवायु उष्ण प्रदेशों जैसा हो जायगा। न्यूयार्क क्षेत्र तथा अधिकाँश सभ्य संसार का विस्तृत प्रदेश समुद्र के जल से 13 मील तक नीचा चला जायगा।’

‘यह भूमण्डल गत 10 लाख वर्षों से चला आ रहा है प्रति 8000 वर्षों बाद इस प्रकार का प्रलय होता आ रहा है। यदि हम अब की बार इस प्रलय को रोकना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं, हमें दक्षिणी ध्रुव की बर्फ का निरीक्षण करना चाहिए और निश्चित करना चाहिये कि कितनी बर्फ विनष्ट कर दी जाय। यह बर्फ परमाणु बमों से नष्ट की जा सकती है।’

‘भू पिंड की इस प्रलय का अर्थ यह नहीं समझना चाहिये कि विश्व का अन्त हो जायगा। इस प्रलय से उन का अंत अवश्य हो जायेगा, जो आजकल विस्तृत पृथ्वी पर रहते हैं। हाँ, कुछ व्यक्ति पीछे अवश्य छूट जायेंगे।’

‘अनेक वर्ष हुए, उत्तरी ध्रुव में कुछ लम्बे बाल तथा दूध वाले जानवर बर्फ में दब गये थे। लम्बी अवधि के बाद जब लोगों ने जाकर उन्हें देखा तब उनके मुँह में ताजे भोजन के ग्रास विद्यमान थे। इससे श्री ब्राउन ने परिणाम निकाला कि यह अमित हिम के कारण सुन्न होकर मर गये और साथ ही हिम ने उनको सुरक्षित भी रख लिया। उदाहरण के लिए, यदि उष्ण कटिबन्ध एकदम हिमाच्छादित ध्रुव प्रदेशों में बदल जाय तो यहाँ के प्राणी मात्र की भी वही दशा होगी, जो दक्षिणी ध्रुव के उक्त प्राणियों की हुई थी।’

‘अब से लगभग 8 सहस्र वर्ष पहले जब प्रलय हुई थी तो दोनों ध्रुव प्रदेश क्रमशः उन स्थानों पर होंगे जहाँ आजकल अफ्रीका में सूडान तथा प्रशाँत महासागर में सामीओं द्वीप हैं। इन्हीं प्रदेशों के निकट क्रमशः मिश्र तथा हवाई द्वीप थे जहाँ पर आधुनिक युग की सभ्यता का सबसे पहले अभ्युदय हुआ, क्योंकि उस प्रलय के जल की बाढ़ से वह स्थान मिश्र तथा हवाई द्वीप न आये होंगे।’

‘पिछले प्रलय के अवसर पर भूतपूर्व ध्रुवों के निकटवर्ती क्षेत्रों पर भी विनाशकारी बाढ़ का कम प्रभाव पड़ा होगा। यह क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका के इक्वेडोर और पेरू तथा मलाया प्राँतद्वीप का निकटवर्ती द्वीप सुमात्रा होगा। हमारी वर्तमान सभ्यता के यह प्रदेश भी अग्रणी है।’

‘अगली प्रलय के अवसर पर इस प्रकार ध्रुववासी एस्किमो लोग बच जायेंगे, बशर्ते जब उनके वर्तमान प्रदेश का जलवायु उष्ण प्रदेश अथवा समशीतोष्ण कटिबन्ध जैसा हो जाय तो वह उसके साँचे पर अपने को एकाएक ढाल सके। इस प्रलय का जहाँ कम प्रभाव और पड़ सकता है, वह अटलांटिक तथा प्रशान्त महासागरों के वर्तमान धन शून्य प्रदेश हैं।’

‘धरती के करवट पलटने का प्रमाण इससे भी मिलता है कि लगभग 50 वर्ष हुए, संसार के विख्यात ज्योतिषियों ने यह अन्वेषण किया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर लड़खड़ाने लगी है, जो ध्रुवों के बीच गुजरती मानी जाती है।’

‘जब ध्रुव (दक्षिणी) पर बर्फ का वजन इतना बढ़ जायगा कि निचले हिमप्रस्तर उसे अपने ऊपर लादे न रख सकेंगे तो विशाल हिम पर्वत टूट कर भूमध्य रेखा की ओर बह चलेंगे, इससे पृथ्वी की आकर्षण शक्ति तथा दोनों ध्रुवों के सम्बन्ध में विषम अन्तर पैदा हो जायगा। अतः जहाँ से महा विशाल हिम पर्वत टूटेंगे। वहाँ से पृथ्वी अपना सिर सन्तुलन उपलब्ध करने के लिए करवट बदलेगी। उक्त हिम प्रस्तर भूमध्य रेखा पर चले जायेंगे।’


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