सन्मार्ग की शिक्षा

June 1942

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(बाइबिल की वाणी)

जो अपने मुँह की चौकसी करता है सो अपने प्राण की रक्षा करता है। पर जो गाल बजाता है उसका नाश हो जाता है।

-भजन संहिता 13। 3

धर्मों पेट भर खाने पाता है पर दुष्ट भूखे ही रहते हैं।

13। 21

अन्याय के बड़े लाभ से न्याय से थोड़ा ही प्राप्त करना उत्तम है।

16। 8

जो दूसरे के अपराध को ढांप देता है सो प्रेम का खोजी ठहरता है, पर जो बात, चर्चा बार बार करता है सो परम मित्रो में भी फूट करा देता है। एक घुड़की समझ वाले के मन में जितनी गढ़ जाती है उतना सौ बार मार खाना मूर्ख के मन में नहीं गढ़ता।

17(9।10)

चोरी छिपे की रोटी मनुष्य को मीठी तो लगती है पर पीछे उसका मुँह कंकड़ों से भर जाता है।

20।17

बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है तथा सोने चाँदी से औरों की प्रसन्नता उत्तम है।

22 /1

सम्मति को सुन ले और शिक्षा को ग्रहण कर ताकि तू अन्त काल में बुद्धिमान ठहरे ।

19/20

जो अपने मुँह को वश में रखता है सो अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है। जो अभिमान से रोष में आकर काम करता है। उस का नाम अभिमान अहंकारी, ठट्ठा करने वालों में पढ़ा जाता है।

21 /23-24

जो अपने लाभ के निमित्त कंगाल पर अंधेर करता और धनी को जो भेंट देता, वे दोनों केवल हानि ही उठाते हैं।

22/16


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