सायंकाल अपने इष्ट भविष्य की कल्पनाओं के विचारों में मस्त रह कर व्यतीत करना चाहिए, उस समय अपने को उसी हालत में ख्याल करो कि जिसका तुम्हारा हृदय उत्कट इच्छा करता है।
कथा-