तुम्हारे जीवन के जो क्षण व्यतीत हो रहे हैं, उनको सादे और मीठे, पवित्र और सुन्दर, श्रेष्ठ और आशायुक्त उच्च और दृढ़ महत्वाकाँक्षा पूर्ण, प्रेममय विचारों से भरो।
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एक भी दिन अपनी ज्ञान राशि में कुछ न कुछ वृद्धि किये बिना मत व्यतीत होने दो कि तुमने अपनी मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों में कुछ उन्नति की है।
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आदमी का जैसा मन होता है, वैसा ही उस का बाह्यरूप होता है, वास्तव में मन ही आदमी को बनाता है।