(कुरान की शिक्षा)
या अय्युहल्ल जीना आमनू अलयकुम
अन्फु साकुम्............विमाकुन्तम् तथा मलून।
(सरयू माइदा 2/7।14।5)
हे विश्वासियों ! तुम अपना ध्यान रखो। जब तुम सत्य मार्ग पर हो तो कोई भी भ्रम में रहे तुम्हारी हानि नहीं कर सकता। तुम सब को अल्लाह की जोर जाना हैं। वह तुमको जो कुछ तुम कर रहे हो, सब बता देगा।
लय्सऽल विर्रा अन्तुवल्लू वुजूह कुम्....................
व उला इकाहु मुऽल् मुत्तकून्।
(सरयू बकर 1/2।22)
धर्म इसी में नहीं है कि नमाज में अपना पूरब की ओर फेर लो, अथवा पश्चिम की ओर फेर लो, वरन् वास्तविक शुभ कार्य तो उन लोगों के हैं, जो अल्लाह, मृत्यु, धर्म पुस्तक और अवतारों पर ईमान लाये। जिन्होंने संबन्धियों, अनाथों, निर्धनों, यात्रियों तथा भिखमंगों को धन दिया अपने वचन को पूरा किया, तथा सताए जाने पर संकट काल में दृढ़ रहे। यही लोग हैं, जो सच्चे निकले और सदाचारी हैं।