-जिस तरह लोहे को कई बार गरम करने पर मुलायम हो जाता है, तो उसको चाहे जिधर मोड़ने से हथियार बना लेते हैं। उसी प्रकार मनुष्य भी आपत्तियों की आग से तपाने पर तथा दुनिया की मार खाने पर स्वच्छ हाथ बनता है और भगवद् भक्त हो जाता है।
-वर्षा का जल जब कि मकान की छत पर गिर कर पनालों द्वारा पृथ्वी पर गिरता है तो वह पानी आता तो आकाश से है। किन्तु पनालों द्वारा नालों में चला जाता है। इसी प्रकार सदृश्य देशों का प्रचार साधु करते हैं, किन्तु वह ईश्वर से ही प्राप्त होते हैं।
-पानी को पुल के नीचे से बहने में कोई बाधा नहीं होती है। उसी तरह त्यागी के हाथ से धन चलता रहता है। उसे इकठ्ठा करने की कोई चिंता नहीं रहती है।
कथा-