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March 1940

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ईश्वर हमारे अन्दर है। इस सत्य पर तुम जितना ही ध्यान दोगे और विश्वास करोगे उतने ही तुम्हारे शरीर के कण 2 में यही भाव भर जावेंगे और तुम्हारे अन्दर से भय के विचार विदा हो जायेंगे। तुम्हारी अप्रसन्नता प्रसन्नता में परिणित हो जायेगी और तुम उस महान शक्तिमान के निकटतर होते जाओगे।

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प्रार्थना करने से जी न चुराओ, ईश्वर में अविश्वास न रखो। किसी बात को बिना जाने उसे फिजूल मत मानों, ईश्वर तुम्हारी प्रार्थना को अवश्य सुनेगा और तुम्हारे हृदय के भावों के अनुसार तुम में गति प्रदान करेगा। यह गति तुमको कल्याण-मार्ग पर अग्रसर कर देगी और तुम्हारा भविष्य समुज्ज्वल हो जायेगा।


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