Quotation

March 1940

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

जब हम अपने हृदय के कपाटों को दूसरों की भलाई करने के लिये खोल देते हैं तो हम स्वयं भले बन जाते हैं और हमारे भले आदमी होने को श्रीगणेश प्रारम्भ हो जाता है। हमारी उन्नति होती जाती है और हम उस महाशक्ति को पहचानने लगते हैं।

*****

यदि तुम ईश्वर की वाणी सुनना चाहते हो तो अवश्य सुनोगे तुम्हारे मार्ग के रोड़े तुम्हारा कुछ न बिगाड़ सकेंगे चाहे वे कितने ही भयंकर क्यों न हों।

*****

अपनी जीविका के लिये किसी प्राणी को दुख न पहुंचाओ। उसको भी दुनिया में जीने का अधिकार है। वह भी उसी प्रभु का प्यारा है जिसको तुम प्यार करते हो या जिसके द्वारा प्यार करवाना चाहते हो।

*****

हृदय में सुन्दर भाव भरने से सुन्दर हो जाओगे और कुरूप भावों से कुरूप हो जाओगे। तात्पर्य यह है कि जैसे सोचोगे वैसे बन जाओगे।

*****

सबको उच्च भाव से देखो न जाने किस में कैसी आत्मा है। शायद वह तुम्हारी परीक्षा कर रही हो तुम्हें अपनी परीक्षा में अनुत्तीर्ण न होना चाहिये।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: