दक्षिर्ण भारते इयमेकैव विविधविषयोपवृहित्त संस्कृत भाषा मयी पाक्षिकी पत्रिका भारती सुप्रसिद्धपत्रिकाकारेरतिशयेन प्रशंसिता च। स ध्वपि दंशेषु सुप्रचारो स्वीयवस्तुप्रसिद्धये प्रासति पत्रप्रकाशनन व्यवहारणामतीव उपकारिणी। सः लया सरण्सया च सरण्या गीर्वाणवाणीप्रणायितः अंतरंगाणि संप्रीणयंती विभ्राजते। त्वरंताँ ग्राहक प्रसिद्धिपत्रप्रकटनाभिलाषिणाश्च। मूल्यं प्रेषणक वहितं सपादे रुप्यकद्वयम्।
प्राप्तिस्थानम्-मधुरवाणी कार्यालय, श्रीराम देवलेन, प.नं. 1698, बेलगाँव
‘आदर्श’
गत पाँच वर्षों से विशुद्ध, सुरुचिपूर्ण लेख कवितायें, साहित्य प्रचार द्वारा राष्ट्र भाषा हिन्दी की सेवा कर रहा है।
‘आदर्श’ की प्रत्येक कहानी मनोरंजक, हृदय ग्राही और अपनी एक ऐसी विशेषता लिये हुए होती है जो अन्यत्र नहीं पाई जाती।
यदि आप लेखक है :- तो सुरुचिपूर्ण, कविताओं, लेखों के प्रकाशन द्वारा राष्ट्र भाषा हिन्दी के निधि रक्षा में सहायक हूजिए यदि आप विशुद्ध साहित्य के प्रेमी हैं :- तो “आदर्श” की भावमय कहानियों, सुन्दर प्रतियों से अपनी इच्छा पूर्ति कीजिए। यदि आप व्यापार करते हैं :- तो अपनी वस्तुओं का “आदर्श” में विज्ञापन देकर धन कमाइये। ‘आदर्श’ प्रतिमास हजारों की तादाद में छाप कर भारतवर्ष के तमाम प्रान्तों के अलावा विदेशों में भी जनता के हाथों में पहुँचता है। वार्षिक मूल्य केवल 2) आज ही नमूने की प्रति के लिए लिखिये।
-मैनेजर “आदर्श” श्री गंगा डिपो बिल्डिंग ड़ड़